केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया. उन्होंने पीओके के नाम लिए बगैर कहा कि जो हमने गंवाया, उसे जल्द हासिल कर लिया जाएगा. शाह ने कई उदाहरण देकर कहा कि अगर देश को समझना है तो भारतीय दृष्टिकोण को लेकर हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों की समझ जरूरी है. उन्होंने इतिहास से हुई छेड़छाड़ को लेकर खुलकर बात की.
लद्दाख के इतिहास के संग भी ऐसा हुआ: शाह
शाह के अनुसार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के संग भी ऐसा हुआ है. यहां पर किसने शासन राज किया, कौन रहा, किसने क्या अनुबंध किए... इसके आधार पर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर सामने रखा. उन्होंने कहा, कश्मीर कहां था और लद्दाख कहां था... इसकी मीमांशा करना बेमानी की तरह है. इतिहास को गलत तरह से पेश किया.
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अमित शाह के अनुसार, भारत के कोने-कोने में जो संस्कृति, भाषा, हमारी लिपियां, अध्यात्म के विचार तीर्थस्थलों की कला, व्यापार और वाणिज्य बिखरा है. यह कम से कम 10 हजार वर्ष पुराना है. उस समय भी कश्मीर भी उपास्थित था. यह बात तय होती है तो कश्मीर का भारत के साथ जुड़ाव का प्रश्न पूरी तरह से बेमानी हो जाता है. उन्होंने कहा कि करीब 8000 साल पुराने ग्रंथों में कश्मीर और झेलम का जिक्र मौजूद है. अब यह कोई नहीं कह सकता है कि कश्मीर किसका है.
कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग की तरह: शाह
कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग की तरह था. आज भी रहने वाला है. इसे कोई कानून की धाराओं से अगल नहीं हो सकता है. कानून की धारा का उपयोग करके भी कोशिश हो सकती है. अंत में उस धारा को निरस्त किया गया. इसके साथ बाधाओं को दूर कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री एक समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने 'J&K and Ladakh Through the Ages' पुस्तक के विमोचन के दौरान ये बयान दिए.