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टैरिफ वॉर Photograph: (META AI)
अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है और 25% टैरिफ 27 अगस्त यानी कल से लागू होगा. इस भारी-भरकम टैरिफ के चलते भारतीय कपड़ा उद्योग को बड़ा झटका लगा है. अनुमान है कि भारत को करीब 48 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि अब भारत सरकार और उद्योग जगत ने मिलकर एक नई रणनीति बनाई है, जिसके तहत भारत अमेरिका पर निर्भरता घटाकर 40 नए बाजारों में खास प्रचार अभियान चलाएगा.
किन देशों पर होगा फोकस?
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यूरोप और एशिया के बड़े आयातक देशों को टारगेट किया है. इनमें ब्रिटेन, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, तुर्की, पोलैंड, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मैक्सिको और यूएई जैसे बाजार शामिल हैं. इन देशों में कपड़ा और परिधान का आयात बाजार करीब 590 अरब डॉलर का है, लेकिन भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 5-6 प्रतिशत है. सरकार और उद्योग संगठन इस हिस्सेदारी को बढ़ाने पर काम करेंगे.
भारत की रणनीति क्या होगी?
नई योजना के तहत भारतीय उद्योग समूह, एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और विदेशों में भारतीय मिशन मिलकर काम करेंगे. इसका मकसद है भारतीय कपड़ों की क्वालिटी, डिजाइन और प्रतिस्पर्धी दामों को दुनिया के सामने रखना. सरकार का मानना है कि अगर इन 40 देशों में भारत अपनी हिस्सेदारी बढ़ा लेता है, तो अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई संभव है.
भारत का वस्त्र और परिधान सेक्टर
भारत का वस्त्र और परिधान उद्योग वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 179 अरब डॉलर का अनुमानित आकार रखता है. इसमें 142 अरब डॉलर का योगदान घरेलू बाजार से और करीब 37 अरब डॉलर निर्यात से आता है. वैश्विक स्तर पर वस्त्र और परिधान का आयात बाजार लगभग 800.77 अरब डॉलर का है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 4.1 प्रतिशत है. इस हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है.
चुनौती और अवसर
अमेरिकी बाजार भारतीय निर्यातकों के लिए सबसे अहम रहा है, लेकिन नए टैरिफ के बाद हालात बदल गए हैं. अब भारत के पास यह मौका है कि वह यूरोप, एशिया और मिडिल ईस्ट में अपनी पकड़ मजबूत करे. अगर भारतीय कंपनियां इन बाजारों में ब्रांड वैल्यू और भरोसा बना पाती हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत वस्त्र और परिधान निर्यात में कहीं ज्यादा बड़ी ताकत बन सकता है.
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