अहमदाबाद के मेघानी इलाके में गुरुवार को जो कुछ हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 लंदन के लिए रवाना हुई थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद क्रैश हो गई. इस हादसे में 240 से ज़्यादा यात्रियों और क्रू मेंबर्स की जान चली गई. विमान बोइंग 787-8 पूरी तरह तबाह हो गया और पास का MBBS हॉस्टल भी चपेट में आ गया. इस हॉस्टल में भी कई लोगों की जाने गईं.
अब इस भीषण हादसे के बाद बीमा कंपनियों के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. आंकलन किया जा रहा है कि इस हादसे से जुड़े बीमा दावे ₹1,500 करोड़ से भी ऊपर जा सकते हैं, जो हाल के सालों की सबसे बड़ी एविएशन बीमा घटनाओं में से एक बन सकता है.
किसने किया था विमान का इंश्योरेंस?
इस प्लेन का इंश्योरेंस टाटा AIG जनरल इंश्योरेंस ने लीड किया था. इनके साथ इस बीमा में कई और बड़ी कंपनियां भी शामिल थीं जैसे GIC Re, यूनाइटेड इंडिया, ओरिएंटल इंश्योरेंस और ICICI लोम्बार्ड. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इनमें से करीब 95% बीमा जिम्मेदारी इंटरनेशनल कंपनियों को री-इंश्योरेंस के तहत ट्रांसफर कर दी गई थी. यानी बड़े नाम जैसे AIG, AXA XL, और लंदन-बर्मूडा की बीमा कंपनियां अब सीधे इस दावे की ज़द में हैं.
कितना नुकसान और कितना क्लेम?
अगर विमान की बीमा वैल्यू की बात करें तो विमान नया नहीं था, लेकिन फिर भी उसकी बीमा कीमत ₹650 से ₹700 करोड़ के बीच मानी जा रही है. वहीं, यात्रियों का मुआवज़ा पर नजर डाले तो 2009 से भारत मॉन्ट्रियल कन्वेंशन का हिस्सा है. इसके तहत हर मृतक के परिजनों को लगभग ₹1 करोड़ का मुआवज़ा देना होता है यानी कुल मिलाकर ₹240 करोड़ से ज़्यादा का क्लेम सिर्फ यात्रियों के लिए ही बनता है. अगर कुल बीमा क्लेम की बात करे तो विमान और यात्रियों दोनों को मिलाकर टोटल बीमा क्लेम ₹1,000 से ₹1,500 करोड़ तक जा सकता है.
इसका असर क्या होगा?
सरकार ने कहा है कि बीमा कंपनियों को इस मामले में तेज़ी दिखानी चाहिए और पीड़ित परिवारों को जल्द मदद मिलनी चाहिए. लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस हादसे का असर सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि इंटरनेशनल एविएशन इंश्योरेंस सेक्टर पर भी पड़ेगा. खासकर भारत में जो एयरलाइंस बड़े विमान चलाती हैं जैसे वाइड-बॉडी जेट्स उनके लिए बीमा करवाना अब और महंगा हो सकता है. एयर इंडिया के पूरे फ्लीट के लिए कुल बीमा कवर करीब ₹8,000 से ₹10,000 करोड़ का है, और हर साल वो इसके लिए करीब ₹250 करोड़ का प्रीमियम देती है.
ये भी पढ़ें- क्या ईरान को गाजा बनाने की तैयारी, आखिर क्यों ऐसा कर रहा है इजरायल?