ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जो हमारे ब्रेन के सेल्स में असामान्य वृद्धि के कारण होती है. हमारी लाइफस्टाइल और कुछ आदतें इसके खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकती हैं. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक और सतर्क करने के लिए हर साल 8 जून को विश्व ट्यूमर दिवस मनाया जाता है. ब्रेन ट्यूमर की बीमारी में दिमाग के अंदर असामान्य कोशिकाएं कैंसर के रूप में या बिना कैंसर के विकसित हो जाती हैं. ब्रेन में जब ट्यूमर अधिक विकसित हो जाता है तो ब्रेन के अंदर दबाव बढ़ने लगता है. जिससे की आपके ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है.
ब्रेन ट्यूमर के कारण
सबसे पहले ब्रेन ट्यूमर को बढ़ाने के लिए आयोनाइजिंग रेडिएशन मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है. ज्यादातर, आयोनाइजिंग रेडिएशन का प्रयोग कैंसर थेरेपी के दौरान किया जाता है और जब कोई व्यक्ति इस रेडिएशन के संपर्क में रहता है तो ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा अगर ब्रेन ट्यूमर की बीमारी आपके पारिवारिक इतिहास में रही है तो आपको भी ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना अधिक हो जाती है.
ल्यूकेमिया से ग्रसित वयस्कों में भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक रहता है.
इसके अलावा ऐसे बच्चे जिन्हें बचपन में कैंसर की बीमारी हो जाती है वह भी आगे चलकर ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित हो सकते हैं.
साथ ही एचआईवी से ग्रसित व्यक्तियों को भी अन्य व्यक्तियों की तुलना में ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक रहता है.
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
सिर दर्द का धीरे-धीरे बढ़ना, अक्सर सिर में दर्द रहना, नींद ना पूरी होना और सोचने समझने में समस्या होना भी ब्रेन ट्यूमर का संकेत हो सकता है.
नजर में धुंधलापन, दूर की वस्तुएं ठीक ना दिखना, सुस्ती एवं थकान महसूस होना और दैनिक कार्यों को करने में समस्या होना जैसे लक्षण ब्रेन ट्यूमर की तरफ इशारा करते हैं.
शरीर में अचानक नजर आने वाले किसी भी बदलाव को भी नजरअंदाज न करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है).