World Hunger Day 2025: हर साल 30 मई को दुनिया भर में विश्व भूख दिवस मनाया जाता है. 2011 से एक अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में माने जाने वाले इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भूख और कुपोषण की वास्तविकता की ओर ध्यान खींचना और समाज को यह याद दिलाना है कि सही नीतियाँ और जनभागीदारी मिलकर ही भूख जैसी समस्या का जड़ से समाधान कर सकती हैं. इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय भूख दिवस भूख और गरीबी के मुद्दों को संबोधित करने और स्थायी कार्यों के माध्यम से जीवन बचाने का भी प्रयास करता है, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए.
क्या है इसका इतिहास
विश्व भूख दिवस की शुरुआत 'द हंगर प्रोजेक्ट' द्वारा की गई थी, जो एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है और यह टिकाऊ समाधानों के माध्यम से वैश्विक भूख और गरीबी को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह एक गैर-लाभकारी समूह है जिसकी स्थापना 1977 में हुई थी और 2011 में पहली बार हंगर प्रोजेक्ट द्वारा विश्व भूख दिवस मनाया गया था. यह दिन दुनिया भर में भुखमरी को समाप्त करने के लिए कार्रवाई करने की एक पहल है.
क्या है इसका महत्व
यह देखा गया है कि दुनिया भर में कई मिलियन लोग गंभीर भूख से पीड़ित हैं, जिनमें से 60% महिलाएं हैं. उनमें से लगभग 98% जो कुपोषण से पीड़ित हैं, कुछ मध्यम और निम्न आय वाले देशों से हैं. इसके अलावा भूख से कई घातक बीमारियों, जिनमें मलेरिया, एड्स और तपेदिक शामिल हैं की तुलना में अधिक लोगों की मौत होती है. यह दिन इस असमानता को दूर करने और ऐसे समाधान खोजने में मदद करने का प्रयास करता है जो जरूरतमंदों को केवल एक दिन का भोजन प्रदान करने के बजाय दुनिया से भूख और गरीबी की बीमारियों को पूरी तरह से खत्म कर सके.
हंगर इंडेक्स में भारत
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2024 में भारत 127 देशों में से 105वें स्थान पर है. इस इंडेक्स में भारत को "गंभीर" श्रेणी में रखा गया है. यह रिपोर्ट, जो भूख के स्तर को मापने के लिए एक उपकरण ने भारत का स्कोर 27.3 है.
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