पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर में चिकनगुनिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हाल ही में चीन में चिकनगुनिया के 7000 मामले मिलने से हड़कंप मच गया है. वहीं भारत में भी चिकनगुनिया का प्रकोप बरसात में बढ़ता है. वहीं आज से करीब 20 साल पहले जिस वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी, वह एक बार फिर से वापस आ गया है. इस वायरस का नाम चिकनगुनिया है. अब यह चीन में तेजी से फैल रहा है. इस वायरस के 7000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
इंफेक्शन का खतरा
दरअसल, WHO ने बताया था कि इस वक्त 119 देशों में करीब 560 करोड़ लोग चिकनगुनिया इंफेक्शन के खतरे में हैं. चिकनगुनिया के मामले सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि भारत में भी हर साल देखने को मिलते हैं. बरसात में मच्छरों का कहर बढ़ जाता है और चिकनगुनिया वायरस भी ज्यादा फैलने लगता है. साल 2005 में चिकनगुनिया ने महामारी का रूप ले लिया था और तब यह बीमारी हिंद महासागर के छोटे द्वीपों से शुरू होकर 5 लाख से ज्यादा लोगों में फैल गई थी. रेयर मामलों में चिकनगुनिया विकलांगता का कारण बन सकता है.
इससे होने वाली दिक्कतें
यह एक बुखार है जो कि मच्छरों के जरिए फैलता है. यह एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों से फैलने वाला वायरस है. यह बीमारी शरीर में तेज जोड़ों के दर्द का कारण बनती है, जिससे चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है.
क्या है इसके लक्षण और इलाज
इसके लक्षणों की बात करें तो यह मच्छर से काटने के 4 से 8 दिन बाद दिखाई देते हैं. इस वायरस से संक्रमित होने पर लोगों को तेज बुखार, हाथ-पैर, घुटनों और कलाई में असहनीय दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और रैशेज जैसे लक्षण नजर आते हैं. वहीं कुछ मामलों में आखों में जलन और उल्टी जैसी दिक्कत भी हो सकती हैं. इसके लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है. बुखार के लिए पैरासिटामोल और दर्द के लिए पेनकिलर देते हैं. ऐसे मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए और पानी पीना चाहिए.
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