Side Effect Of Adult Content: हमारी लाइफ में कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिनके बारे में आप खुलकर किसी से बात नहीं कर पाते हैं लेकिन कुछ के बारे में आपको अंदाजा भी नहीं होता है, कुछ ऐसी ही है एडल्ट फिल्म देखने की लत.अश्लील फिल्मों (पोर्न) की भी लत ऐसी ही है. यह एक ऐसी समस्या है, जिसे लत के रूप में समझ पाना भी लोगों के लिए काफी कठिन होता है. समय के साथ आप इसके इतनी अधीन हो जाते हैं कि इसका असर रोजाना के कामकाज पर भी दिखना शुरू हो जाता है. अगर आपको भी ऐसी लत उठती हैं तो आपको समझने की जरूरत है कि आप किस बीमारी के शिकार हो चुके हैं.
लोगों में बढ़ती समस्या
विशेषज्ञों की मानें तो अश्लील फिल्मों के शिकार हो चुके लोगों को पोर्न देखने की बहुत तलब उठती है. कई लोगों में इसकी समस्या ज्यादा बढ़ जाती है, जिससे कि उनका कामकाज बहुत प्रभावित होता है. वहीं टीनएजर्स का अश्लील फिल्मों की तरफ आकर्षित होना नॉर्मल है. लेकिन माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा क्या देख रहा है और क्या नहीं है. अश्लील फिल्में देखने की इच्छा किसी भी उम्र में हो सकती है. हालांकि हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि यह लत में न बदल जाए.
लत है या नहीं
इंटरनेट पर अश्लीलता की बढ़ती पहुंच के कारण बच्चों और किशोरावस्था में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. आपको पोर्न देखने में आनंद आता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसके लती हो गए है. पोर्न की लत का मतलब, न चाहते हुए भी आपको इसे देखने की इच्छा हो, बिना पोर्न देखे आपको चैन न आए या फिर दिन में किसी समय का निर्धारित हो जाना जिसमें आपको पोर्न देखना ही हो. इसके अलावा पोर्न की लत को पहचानना और इससे छुटकारा पाने की कोशिश करना भी आपके लिए बेहद आवश्यक है.
पुरुषों में इसकी संभावना
अश्लील फिल्में देखने के शिकार लोग क्यों हो रहे हैं, इस बात का तो कोई तय पैमाना नहीं है, लेकिन कुछ लोग चिंता, अकेलेपन, या डिप्रेशन से निपटने के लिए ऐसा कर सकते हैं. लेकिन कुछ वक्त के बाद वो इसके आदी हो जाते हैं. कई रिपोर्ट्स में ऐसा सामने आया है कि अश्लील फिल्में देखने की लत पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की संभावना को बढ़ा सकती है. पोर्न को अक्सर शराब से भी जोड़कर देखा जाता है
क्या है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (इडी), जिसे नपुंसकता के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष को सेक्स के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में दिक्कत होती है. ऐसे लोगों में अक्सर निराशा छाई रहती है, वो रोजगार, रिलेशनशिप और फाइनेंशियली मुसीबत में फंसे रहते हैं.
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