इन दिनों छोटे बच्चे अपना ज्यादा समय मोबाइल, टीवी या टैबलेट पर बिताना पसंद करते है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि इसका बच्चों के दिमाग और व्यवहार पर कितना ज्याादा असर पड़ता है. छोटे बच्चे खासकर तीन साल से कम उम्र के बच्चों की. इस उम्र में उनका दिमाग़ बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा होता है. यही समय होता है जब वे बोलना, समझना और सामाजिक रूप से जुड़ना सीखते हैं. अगर इस समय उन्हें स्क्रीन दिखा दी जाए, तो उनका विकास रुक सकता है.
डेवलपमेंट डिले
स्क्रीन एक तरफ़ा माध्यम होता है, जिसमें बच्चा सिर्फ देखता है, बोल नहीं पाता. इससे उनकी बोलने की क्षमता, सामाजिक समझ और आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ता है. कई मामलों में बच्चों में "ऑटिज़्म जैसे लक्षण" या "डेवलपमेंट डिले" तक देखे गए हैं. वहीं, बड़े बच्चों में भी स्क्रीन टाइम का नुकसान होता है. ज़्यादा स्क्रीन देखने से ध्यान कम होने लगता है (जिसे Attention Deficit Disorder या ADD कहते हैं) इसके अलावा, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, नींद की दिक्कत और समाज से दूरी जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. ऐसे में डॉक्टर बता रही हैं कि अपने बच्चे की आदतों को कैसे छुड़ाएं?
स्क्रीन लिमिट
1 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन बिल्कुल न दिखाएं. अगर दिखाना पड़े, तो सिर्फ वीडियो कॉल के ज़रिए दादा-दादी या रिश्तेदारों से बात करने के लिए, वो भी सीमित समय के लिए. 2 से 5 साल तक के बच्चों को 1 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन न दें. वो भी तब, जब आप उनके साथ बैठकर देखें और बीच-बीच में उनसे बातचीत करें. 5 से 10 साल तक के बच्चों के लिए 2 घंटे स्क्रीन टाइम की सीमा रखें. कंटेंट भी ऐसा हो जो उनकी उम्र के अनुसार हो और आपकी निगरानी में हो.
इन आदतों को कैसे छुड़ाएं?
खुद का टाइम
अगर, आप खुद मोबाइल या टीवी में लगे रहेंगे, तो बच्चे आपसे क्या सीखेंगे? इसलिए सबसे पहले अपने स्क्रीन टाइम को सीमित करें.
बच्चों को व्यस्त रखें
बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें छोटे-छोटे कामों में लगाएं. जैसे—डिनर की टेबल लगाना, पानी की बोतल भरना, डस्टिंग करना आदि. इससे वे ज़िम्मेदार बनेंगे और स्क्रीन की तरफ़ कम ध्यान जाएगा.
बातचीत को बढ़ावा दें
खाने के समय टीवी या मोबाइल बिल्कुल बंद रखें. उस समय पूरे परिवार को साथ बैठकर दिनभर की बातें करनी चाहिए. यह बच्चों में सोशल स्किल्स और सुनने-समझने की आदत विकसित करता है.
स्क्रीन टाइम का तय नियम बनाएं
बच्चों को यह पता होना चाहिए कि स्क्रीन कब और कितनी देर देख सकते हैं. अगर आप कभी बिज़ी हों, तो बच्चों को स्क्रीन देने की बजाय उन्हें किसी गतिविधि में शामिल करें – जैसे पेंटिंग, कहानी सुनना, खेलना आदि. याद रखें, बच्चों की आदतें हमसे बनती हैं. अगर हम संयम से और समझदारी से चलें, तो बच्चे खुद-ब-खुद स्क्रीन से दूरी बनाना सीख लेंगे.
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