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महिलाएं तेजी से होती हैं एनीमिया का शिकार, शरीर में ऐसे बढ़ाएं खून

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 80 साल से अधिक उम्र के 91 फीसदी लोग, 61 से 85 साल से 81 फीसदी लोग, 46 से 60 साल से 69 फीसदी लोग, 31 से 45 साल के 59 फीसदी लोग, 16 से 30 साल के 57 फीसदी लोग और 0-15 साल के 53 फीसदी बच्चे और किशोर एनिमिया से ग्रस्त हैं.

Updated on: 23 Aug 2020, 11:40 AM

नई दिल्ली:

महिलाएं घर में तो हर सदस्य का ख्याल रख लेती हैं लेकिन वो खुद की सेहत पर ध्यान देना भूल जाती हैं.  ऐसे में महिलाएं बहुत एनीमिया (Anemia) जैसी बीमारी का शिकार हो जाती है.  शरीर में खून की कमी के कारण एनीमिया होता हैं. एनीमिया तब होता है जब खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन नहीं होता है. हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी या असामान्य होने पर शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है.

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (National Family Health Survey- NFHS4) के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया (Anemia) का प्रसार 53 % और 15 से 19 वर्ष की किशोरियों में 54 % प्रतिशत है. महिलाओं में खून की कमी का कारण हर महीने माहवारी के समय अत्याधिक खून का स्त्राव भी होता हैं. इसके अलावा अक्सर महिलाएं खाने-पीने में भी लापरवाही बरतती हैं. गर्भवती महिलाएं एनीमिया से अधिक पीड़ित होती हैं. 

एनीमिया (रक्त की कमी) का कारण-

1. यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे शारीरिक रक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिये लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उसकी ऑक्सीजन वहन क्षमता अपर्याप्त होती है. यह क्षमता आयु, लिंग, ऊंचाइयों, धुम्रपान और गर्भावस्था की स्थितियों से परिवर्तित होती रहती है.

2. लौह (Iron) की कमी इसका सबसे सामान्य लक्षण है. इसके साथ ही फोलेट (Folet), विटामिन बी 12 और विटामिन ए की कमी, दीर्धकालिक सूजन और जलन ,परजीवी संक्रमण और आनुवंशिक विकार भी एनीमिया के कारण हो सकते है. एनीमिया की गंभीर स्थिति में थकान, कमज़ोरी ,चक्कर आना और सुस्ती इत्यादि समस्याएं होती है. गर्भवती महिलाएं और बच्चे इससे विशेष रूप से प्रभावित होते है.

एनीमिया के लक्षण-

  • त्वचा का सफेद दिखना.
  • जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी.
  • कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट.
  • चक्कर आना- विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में.
  • बेहोश होना.
  • सांस फूलना.
  • हृदयगति का तेज होना.
  • चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना.

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शरीर में ऐसे बढ़ाएं हीमोग्लोबिन की संख्या-

- एक कप अनार का रस लें. इसमें एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर और दो चम्मच शहद मिला दें. रोजाना इस मिश्रण को नाश्ते के साथ लें.

- पालक खून की कमी के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है. इसमें आयरन होने के साथ विटामिन बी 12, फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व हैं. पालक का आधा कप लगभग 35 प्रतिशत आयरन और 33 प्रतिशत फोलिक एसिड देता है. पालक का सूप बनाकर पी सकते हैं. 

- चुकंदर, गाजर और शकरकंद को जूसर में मिक्स कर जूस निकाल लें और रोजाना एक बार पिएं. चुकंदर और सेब के जूस में शहद मिलाकर भी पी सकते हैं. बढ़िया नतीजे पाने के लिए दिन में दो बार पिएं.

अपने खाने में पालक, बीन्स, चुकंदर, गाजर, नींबू, मटर, हरा चना, पनीर, राजमा और शिमला मिर्च को शामिल करना चाहिए. इसके अलावा, मछली, चिकेन, अंडा और मटन के सेवन से भी हीमोग्लोबिन की कमी को दूर किया जा सकता है.

सुबह उठकर अंकुरित अनाज जैसे मूंग, चना, मोठ और गेंहू इत्यादि में नींबू का रस मिलाकर खाने से हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ता है. इसके अलावा 10 ग्राम ड्राई रोस्टेड बादाम में 0.5 मिलीग्राम आयरन होता है. इसके अलावा बादाम में कैल्शियम, मैग्नीशियम भी होता है और कैलरी मात्र 163 होती है. इसका सेवन करने से हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा किया जा सकता है.

इन बातों का रखें ध्यान-

  • अपने पाचन तंत्र का ख्याल रखें. मसालेदार भोजन के सेवन से बचें. दाल के सूप, सब्जी सूप सहित हल्का भोजन लें.
  • एनीमिया रोगी का भोजन लोहे के बर्तनों में पकाएं. यह शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है.
  • भोजन के साथ चाय, कॉफी न पिएं. व्यायाम नियमित रूप से करें.
  • रोजाना दो बार ठंडे पाने से नहाएं. इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, 80 साल से अधिक उम्र के 91 फीसदी लोग, 61 से 85 साल से 81 फीसदी लोग, 46 से 60 साल से 69 फीसदी लोग, 31 से 45 साल के 59 फीसदी लोग, 16 से 30 साल के 57 फीसदी लोग और 0-15 साल के 53 फीसदी बच्चे और किशोर एनिमिया से ग्रस्त हैं. 45 साल से अधिक उम्र के मरीजों में एनिमिया के सबसे गंभीर मामले पाए गए हैं.