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कोरोना के इलाज में आइवरमेक्‍टिन दवा के प्रयोग को लेकर WHO ने फिर दी चेतवानी, कही ये बड़ी बात

हाल ही में गोवा में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन (Ivermectin) दवा देने की घोषणा की गई है. हालांकि WHO ने इसका कड़ा विरोध किया है. जर्मन हेल्‍थकेयर एंड लाइफ साइंसेज, मर्क (Merck) की ओर से भी इसे लेकर चेतावनी जारी की गई है.

Updated on: 12 May 2021, 12:31 PM

highlights

  • गोवा सरकार ने दी 'आइवरमेक्टिन' को इजाजत
  • WHO ने 'आइवरमेक्टिन' के इस्तेमाल का विरोध किया
  • Merck की ओर से भी इसे लेकर चेतावनी जारी की गई

नई दिल्ली:

पूरी दुनिया सहित भारत में कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है. हर रोज हजारों की संख्या में कोरोना मरीजों की मौत हो रही है. ऐसे में हाल ही में गोवा में 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को आइवरमेक्टिन (Ivermectin) दवा देने की घोषणा की गई है. हालांकि WHO ने इसका कड़ा विरोध किया है. सिर्फ डब्‍लूएचओ ही नहीं, जर्मन हेल्‍थकेयर एंड लाइफ साइंसेज, मर्क (Merck) की ओर से भी इसे लेकर चेतावनी जारी की गई है. डॉक्‍टर सौम्‍या स्‍वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने अपने ट्वीट में इसे भी शेयर किया है.

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WHO ने क्या कहा ?

WHO ने कोरोना मरीजों के इलाज में आइवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है. डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि 'किसी नए लक्षण में जब कोई दवा इस्तेमाल करते हैं तो उसकी सुरक्षा और असर का ध्यान रखना जरूरी है. डब्लूएचओ सलाह देता है कि क्लीनिकल ट्रायल को छोड़कर कोरोना मरीजों को यह दवा ना दी जाए.'

Merck ने भी किया विरोध

वहीं मर्क (Merck) का कहना है कि अध्‍यन में यह पता चला है कि प्री-क्लिनिकल स्टडीज में कोविड के इलाज में इसकी प्रभाविता को लेकर वैज्ञानिक आधार, कोई क्लीनिकल सुरक्षा या प्रभावकारिता नहीं है. इतना ही नहीं स्‍टडी में इसके इस्‍तेमाल में सुरक्षा को लेकर भी उम्‍मीद के मुताबिक डेटा नहीं है. बता दें कि यह दूसरी बार है जब आइवरमेक्‍टिन के इस्‍तेमाल को लेकर डब्‍लूएचओ (WHO) ने चेतावनी जारी की है. 

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क्या है आइवरमेक्टिन ?

आइवरमेक्टिन  (Ivermectin) एक एंटी पैरासिटिक ड्रग (anti-parasitic drug) है, जो कि पेट के इंफेक्शन जैसे कि राउंडवॉर्म इंफेक्शन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. एक तरह से आप इसे पेट के कीड़े को मारने वाली दवाई कह सकते हैं. व्यापक तौर पर  इसका उपयोग आंतों के स्ट्रॉग्लोडायसिस  (strongyloidiasis) और ऑन्कोकेरिएसिस (onchocerciasis) के रोगियों के लिए किया जाता है. 

कैसे हुई थी इसकी खोज ?

आइवरमेक्टिन की खोज साल 1975 में की गई थी जिसे साल 1981 में लोगों के इस्तेमाल के लिए उतारा गया. इस दवा को व्यापक रूप से दुनिया की पहली एंडोक्टोसाइड यानी एंटी पैरासाइट दवा के रूप में जाना जाता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दवा शरीर के भीतर और बाहर, मौजूद  परजीवी के खिलाफ बेहद असरदार साबित हो सकती है. इसके बाद साल 1988 में ऑन्कोकेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) नामक बीमारी के लिए भी इसे प्रयोग में लाया गया.