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Saree Cancer: साड़ी भी बन सकती है कैंसर का कारण जानें कैसे

Saree Cancer: साड़ी पहनने से भी हो सकता है कैंसर, आपके मन में सवाल आया होगा कैसे? आइए जान लेते है इसके कारण और लक्षण के बारे में.

Updated on: 06 Apr 2024, 06:19 PM

नई दिल्ली :

Saree Cancer: साड़ी, इसे आपने अधिकतर महिलाओं को पहने देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये साड़ी कैंसर का भी कारण बन  सकती है. जी हां, सही कहा साड़ी कैंसर का कारण बन रही है और ये कोई मिथक नहीं बल्कि सच है. साड़ी सिर्फ वस्त्र ही नहीं बल्कि भारतीय महिलाओं की पहचान भी है. भारत में अलग अलग राज्यों में साड़ी पहनने का ढंग अलग-अलग हैं. लेकिन दुनियाभर में पसंद किया जानें वाला ये खूबसूरत आउटफिट कैंसर की वजह भी बन सकता है. जिसे साड़ी कैंसर कहा जाता हैं  इसके अलावा और भी कपड़े हैं जिन्हे अगर सही ढंग से ना पहना जाए तो कैंसर की वजह बन सकता है. आइए जानते हैं कि साड़ी कैंसर कैसे होता है और मेडिकल रिसर्च का इस बारे में क्या कहना है. 

क्यों होता है साड़ी कैंसर 

साड़ी कैंसर के जितने भी मामले हैं, उनमें से ज्यादातर मामले भारत में पाए जाते है क्योंकि भारत में साड़ी सबसे ज्यादा पहनी जाती है. भारत के कुछ हिस्सों में महिलाएं साल के 12 महीने और सप्ताह के 7 दिन साड़ी पहनती हैं. साड़ी को पहनने के लिए सूती पेटीकोट को सूती के धागे जिसे नाड़ा कहा जाता है से कमर में कस के बांधती हैं. एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई महिला साड़ी कमर में कस के लंबे  समय तक पहनती है तो उसकी कमर में रगड़ लगने लगती है जिससे रगड़ लगने वाले स्थान पर त्वचा छिलने लगती है या फिर काली पड़नी शुरू हो जाती है. बस यही बार-बार छिलने और ठीक करने के कारण कैंसर की वजह बन सकती है. साड़ी कैंसर के होने में कपड़ों से ज्यादा साफ सफाई भी इसके लिए जिम्मेदार है. ऐसे में देश के ऐसे इलाके जहां गर्मी ज्यादा पड़ती है या उमस रहती है वहां ये कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है

रिसर्च क्या कहती है

भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर के कुल मामलों में  1% मामलों में साड़ी कैंसर पाया जाता है. मेडिकल की भाषा में इसे squamous cell carcinoma के नाम से जाना जाता है.

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा क्यों होता है

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा एक प्रकार का कैंसर है जो त्वचा की स्क्वैमस कोशिकाओं में शुरू होता है. स्क्वैमस कोशिकाएं सपाट, पपड़ीदार कोशिकाएं होती हैं जो त्वचा की बाहरी परत बनाती हैं.

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा सबसे आम प्रकार है. त्वचा कैंसर, बेसल सेल कार्सिनोमा के बाद. यह आमतौर पर उन लोगों में होता है जो 60 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है.

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के सबसे आम लक्षण एक लाल, उबड़-खाबड़ गांठ है जो ठीक नहीं होती है. गांठ बढ़ सकती है. आकार में और खुरदरा या पपड़ीदार हो सकता है. यह खून बह सकता है या दर्दनाक हो सकता है.

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • एक खुला घाव जो ठीक नहीं होता है
  • एक मस्सा जो बढ़ता है या बदलता है
  • एक निशान जो लाल हो जाता है या बढ़ने लगता है
  • त्वचा का एक क्षेत्र जो खुरदरा या पपड़ीदार हो जाता है

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