फिल्म 'टाइटैनिक' की सिंगर गंभीर सिंड्रोम से पीड़ित: शरीर के हर अंग में अकड़न, हिलना भी मुश्किल
फिल्म के मशहूर गाने एवरी नाई इन माय ड्रीम्स, आय सी यू, आय फील यू की गायक सेलिन डियोन ने हाल ही में 2023 के अपने सारे टूर रद्द कर दिए.
नई दिल्ली:
साल 1997 में आई फिल्म 'टाइटैनिक' ने पूरी दुनिया में लोकप्रियता बटोरी थी. आज भी ये फिल्म कई दर्शकों के दिल के करीब है. 19 दिसंबर 1997 में यह फिल्म अमेरिका में रिलीज हुई थी. इस फिल्म के मशहूर गाने 'एवरी नाईट इन माय ड्रीम्स, आय सी यू, आय फील यू' की गायक सेलिन डियोन ने हाल ही में 2023 के अपने सारे टूर रद्द कर दिए. सोशल मीडिया पर उन्होंने जब इसकी वजह बताई तो पता चला कि वे गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. सोशल मीडिया पर इसकी वजह बताते हुए गायिका ने कहा कि वो 'स्टिफ पर्सन सिंड्रोम' से ग्रस्त हैं. यह एक दुर्लभ बीमारी है, इसमें इंसान के शरीर में अकड़न आती है. शरीर का एक-एक हिस्सा मूर्ति में तब्दील होने लगता है.
क्या है स्टिफ पर्सन सिंड्रोम
यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल की परिस्थिति है. यह बीमारी बहुत कम लोगों को होती है. ऐसा कहा जाता कि दस लाख में एक इंसान इस बीमारी से पीड़ित होता है. इसका सीधा असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है. रीढ़ की हड्डी और शरीर के निचले भागों में अकड़न महसूस होती है. कई मामलों में गर्दन, धड़ और कंधो की मांसपेशी में अकड़न की शिकायत भी आती है. ऐसी स्थिति आमतौर पर ज्यादा टेंशन की वजह से होती है.
क्या हैं लक्षण
इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं. इसका असर सबसे पहले पैर और पीठ से आरंभ होता है, इसे बाद ये लक्षण गर्दन और हाथ तक पहुंच जाता है. हालांकि इस बीमारी से मौत नहीं होती है. मगर रोजमर्रा कामों में काफी दिक्कत आती है. कई पीड़ितों को व्हीलचेयर का भी इस्तेमाल करना पड़ता है. वहीं कुछ पीड़ितों की हालत इतनी खराब हो जाती कि उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ जाता है.
किन लोगों में इस बीमारी का खतरा
यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. मगर 30-60 वर्ष की उम्र के लोगों में यह बीमारी सबसे अधिक देखी जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस उम्र के लोगों में ज्यादा टेंशन देखी जाती है. डायबिटीज, थायराइड, विटिलिगो, ब्रेस्ट कैंसर, थायराइड कैंसर, लंग कैंसर और कोलोन कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का खतरा अधिक होता है. पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस बीमारी से ज्यादा जूझ रही हैं.
क्या इसका इलाज संभव है?
इसका इलाज चार तरह से हो सकता है. डॉक्टर दवाइयों की मदद से मसल्स की अकड़न को कम करते हैं. मांसपेशी का दर्द कम करने के लिए भी मरीजों को दवाइयां दी जाती हैं. आईवीआईजी इंजेक्शन यानि इंटर वीनस इम्यूनों ग्लोब्युलिन इंजेक्शन अबनॉर्मल एंटी—बॉडीज को काम करने काम करते हैं. फिजियोथैरेपी के लिए स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज मसल्स को आराम दिया जाता है. कुछ मरीजों को जिंदगी भर फीजियोथेरैपी भी लेनी पड़ती है.
बच्चों को बीमारी हो सकती है
छोटे बच्चों को भी इस तरह की बीमारी हो सकती है. बीमारी की वजह से बच्चों को चलने-फिरने और खेलकूद में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. 19 से 65 वर्ष की उम्र के लोगों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है.
क्या बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है
इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिए फिलहाल कोई इलाज नहीं है. इसका इलाज मरीज को आराम देने के लिए किया जाता है. कई तरह की पेन किलर्स को दिया जाता है. इसका इलाज मरीज के जीवन को थोड़ा आसान बनाता है. ऐसा समय कभी नहीं आता है जब सारी दवाएं और इलाज को रोककर मरीज अपनी आम जिंदगी जी सकता है.
1920 में बीमारी सामने आई
यह बीमारी 1920 के दशक में सामने आई थी. इस दौरान कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें मरीज अचानक कटी लकड़ी की तरह गिर रहे थे. 1956 में 14 मरीज सामने आए जिन्हे स्पाइनल कॉर्ड, पेट और जांघ की मांसपेशी में अकड़न और दर्द हुआ. यह बाद में महिलाओं और बच्चों में भी देखी गई. इसे पर्सन सिंड्रोम का नाम फ्रेडरिक मोर्स्च और हेनरी वोल्टमैन ने दिया था.
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