कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का तीसरे दिन से ही प्रभावित हो रहा शरीर का यह अंग
पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ाई लड़ रही है. अभी तक इस घातक वायरस की वैक्सीन कोई भी देश बना नहीं पाया है. हालांकि कुछ देशों में इसकी वैक्सीन के परीक्षण जारी है.
नई दिल्ली:
पूरी दुनिया कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण से लड़ाई लड़ रही है. अभी तक इस घातक वायरस की वैक्सीन कोई भी देश बना नहीं पाया है. हालांकि कुछ देशों में इसकी वैक्सीन के परीक्षण जारी है. अभी तक इस वायरस से बचाव के सिर्फ कुछ ऐसे तरीके हैं जो कारगर सिद्ध हुए हैं जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हाथों को बार बार अच्छी तरह से धोना है. जो व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आ जाता है उसमें कई तरह से लक्षण दिखाई देने लगते हैं, इन लक्षणों में सबसे प्रमुख हैं लोगों में सूंघने और स्वाद की क्षमता का खत्म होना.
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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कई सारे शोध अध्ययन में यह साबित हो चुका है कि जो व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो जाता है, उसकी सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता खत्म हो जाती. हाल ही में कोरोना संक्रमित 103 मरीजों पर हुए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि संक्रमण के 3 दिन बाद से ही व्यक्ति के सूंघने की क्षमता प्रभावित होने लगती है. ओटोलराईनोलॉजी हेड एंड नेक सर्जरी जर्नल मी प्रकाशित अध्ययन में यह बताया गया कि संक्रमित व्यक्ति के सूंघने की क्षमता तीसरे दिन से ही प्रभावित होना शुरू हो जाती है.
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता कहते हैं कि कोरोनावायरस के 103 मरीजों में से 61 फ़ीसदी मरीजों के सूंघने की क्षमता कम होने लगी थी. अध्ययन में इस बात का भी पता चला कि यह समस्या उस वक्त और ज्यादा गंभीर हो जाती है जब मरीज को सांस की बीमारी या बुखार और कफ की शिकायत होती है. वैज्ञानिक कहते हैं कि जब व्यक्ति की सूंघने की क्षमता काम होने लगती है तो इसका संदेश यह है कि मरीज में संक्रमण का शुरुआती दौर है और आगे उससे काफी सावधान रहने की जरूरत है.
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हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि मरीजों में सुनने की क्षमता कम होने का मतलब यह नहीं है कि वह मौत के करीब है. उन्होंने साफ कहा है कि ऐसे लक्षण दिखने पर डरने और घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. उनका कहना है कि ऐसे मरीज सजग रहकर ही सुरक्षित रह सकते हैं और तमाम सावधानियों को बरतें ताकि दूसरे भी सुरक्षित रहें.
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