केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को ‘रेमडेसिविर’ और ‘टोसिलिजुमैब’ दवा का समान वितरण सुनिश्चित करने को कहा है. इन दोनों दवाओं को देश के लिए तैयार कोविड-19 उपचार प्रोटोकॉल में ‘संभावित इलाज पद्धति’ के तौर पर शामिल किया गया है. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसकी उपलब्धता असमान नहीं हो और ये केवल महानगरों तक सीमित नहीं रह जाएं.
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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अरूणाचल प्रदेश, दादरा एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव ने हाल ही में इन दवाओं की अनुपलब्धता का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद इस विषय में डीसीजीआई ने हस्तक्षेप किया. मंत्रालय ने डीसीजीआई को लिखे पत्र में यह पता लगाने को कहा कि कितने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ये दवाएं उपलब्ध हैं और कहां अभी इनकी आपूर्ति और वितरण संबंधित कंपनियों द्वारा नहीं किया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘‘मुझे यह कहने का निर्देश मिला है कि कोविड-19 चिकित्सकीय प्रबंधन नियमावली के तहत संभावित इलाज पद्धति में शामिल रेमडेसिविर और टोसिलिजुमैब की उपलब्धता के अलावा इसके भौगोलिक वितरण तथा पहुंच की निगरानी की जाए.’’ मंत्रालय द्वारा 27 जुलाई को लिखे पत्र में कहा गया, ‘‘हमें इस बात से अवगत कराया जाए कि कितने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तक यह दवा पहुंच रही है और क्या ऐसा कोई राज्य है जो कंपनियों द्वारा संबंधित दवा की आपूर्ति और वितरण से छूट गया है.’’
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गौरतलब है कि मंत्रालय ने कोविड-19 चिकित्सकीय प्रबंधन में रेमडेसिविर (केवल आपात स्थिति में) और टोसिलजुमैब (संक्रमण के मध्यम श्रेणी के लक्षण आने पर) के इस्तेमाल को संभावित इलाज पद्धति के रूप में शामिल करने की अनुमति दी है. उल्लेखनीय है कि संभावित इलाज पद्धति में उन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिनका इलाज में प्रभाव पुख्ता तौर पर प्रमाणित नहीं हुआ होता है.
Source : Bhasha