Advertisment

कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट कितना है खतरनाक? जानिए क्या बोले डॉ. वीके पाल

नए वैरिएंट का पता लगने के बारे में सार्वजनिक चर्चा के संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पाल ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी तक चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
delta variant

डेल्टा प्लस वैरिएंट कितना है खतरनाक? जानिए क्या बोले डॉ. वीके पाल( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

नए वैरिएंट का पता लगने के बारे में सार्वजनिक चर्चा के संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पाल ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट अभी तक चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है. डॉ. पाल ने कोविड-19 के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति यह है कि एक नया वैरिएंट पाया गया है. अभी तक यह वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट(वीओआई) यानी रुचि का वैरिएंट है और अभी तक यह वैरिएंट ऑफ कनसर्न (वीओसी) यानी चिंताजनक वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत नहीं है. वीओसीऐसा है जिसमें हम समझ चुके हैं कि मानवता के प्रतिकूल परिणाम हैं, जो बढ़ती संक्रामकता या विषैलापन के कारण हो सकते हैं. हम डेल्टा प्लस वैरिएंट के बारे में यह नहीं जानते हैं.

यह भी पढ़ें : Vaccination में महिलाएं पीछे, प्रति हजार 854 महिलाओं को लगा टीका 

डॉ. पाल ने कहा कि आगे का रास्ता यह है कि देश में इसकी संभावित मौजूदगीपर नजर रखी जाए और उचित सार्वजनिक स्वास्थ कार्रवाई की जाए. डॉ.पाल ने कहा कि हमें इस बदलाव के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है. इस वैरिएंट को वैज्ञानिक तरीके से, यह हमारे देश के बाहर पाया गया है. हमें अपने देश में इसकी संभावित उपस्थिति और विकास का आकलन करने और उनका पता लगाने के लिए इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (आईएनएसएसीओजी)के माध्यम से इसकी निगरानी करने की जरूरत है. वायरस के संबंध में यही आगे का रास्ता है.

उन्होंने यह भी कहा कि यह लगभग 28 प्रयोगशालाओं की हमारी व्यापक प्रणाली के लिए भविष्य के काम का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा. प्रणाली निरंतर इस पर नजर रखेगी और इसके महत्व का अध्ययन करेगी. डॉ. पॉल ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसे विज्ञान को देखना और समझना चाहिए और समझना होगा.  नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि यह वैरिएंट हमें संक्रमण नियंत्रण के महत्व, नियंत्रण उपायों और व्यवहार की याद दिलाता है.

उन्होंने कहा कि याद रखें कि ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि हम इन वेरिएंट को गोली मार कर दूर कर सकते हैं, किसी भी सटीक हथियार का उपयोग करने के लिए सुनिश्चित करें कि वे भविष्य में दिखाई नहीं दें. हमें जरूरत यह करने की है कि हम निगरानी रखें, उनके व्यवहार को समझें और उचित कार्रवाई करें, हम पर पड़ने वाले उनके प्रभावों के प्रति सचेत रहें. उचित कार्रवाई में एक ही सिद्धांत शामिल है अर्थात रोकथाम के उपाय और कोविड उचित व्यवहार.

यह भी पढ़ें : सोनिया गांधी ने ली वैक्सीन, राहुल गांधी कर रहे अभी इंतजार, बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस का जवाब

उन्होंने मूल कारण पर विचार करने और संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के महत्व की चर्चा की. उन्होंने कहा कि किसी नए वैरिएंट से निपटने का एक महत्वपूर्ण उपाय कोविड उचित व्यवहार का पालन करना है. मूल कारण संक्रमण की कड़ी है.इसलिए यदि हम मूल कारण को समझने और कड़ी को तोड़ने में सफल होते हैं तो हम नियंत्रण करने में सक्षम होंगे चाहे कोई भी वैरिएंट हो.

डेल्टा वैरिएंट की उत्पत्ति की चर्चा करते हुए डॉ. पाल ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट-बी.1.617.2 ने अपने प्रभाव को दिखाया, इसकी अधिक संक्रामकता ने लहर को तीव्र बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई. इसी के साथ-साथ एक अतिरिक्त म्यूटेशन का पता चला है, जिसे ग्लोबल डाटा सिस्टम में भी प्रस्तुत किया गया है. इसे 'डेल्टा प्लस' या 'एवाई.1' वैरिएंट के रूप में जाना जाता है. इस वैरिएंट को यूरोप में मार्च में देखा गया और केवल दो दिन पहले यानी 13 जून को इसको अधिसूचित और सार्वजनिक किया गया.

उन्होंने बताया कि एमआरएनए वायरस विशेष रूप से उनकी नकल में त्रुटियों के लिए संवेदनशील हैं. जब उनके आरएनए की नकल में त्रुटियां होती हैंतो वायरस एक निश्चित सीमा तक एक नया चरित्र प्राप्त कर लेता है. उन्होंने कहा कि कई बारयह रोग के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है, यह स्पाइक प्रोटीन जैसे क्षेत्र में हो सकता है जिसके माध्यम से वायरस शरीर में कोशिकाओं से जुड़ जाता है. तो अगर वह हिस्सा पिछले के वर्सन की तुलना में स्मार्ट हो जाता है, यह हमारे नुकसान के लिए है. इसलिए हम ऐसे वेरिएंट को लेकर चिंतित हैं.

delta-plus-variant delta plus variant symptoms delta plus variant covid Corona Delta Plus variant
Advertisment
Advertisment
Advertisment