शुगर से हो सकती है ये सीरियस बीमारी, कम खाएं वरना हेल्थ पर पड़ेगा भारी
स्वीट्स (Sweets) से आपको मूड स्विंग्स (mood swings) जैसी प्रॉब्लम्स को फेस करना पड़ सकता है. आज हम आपको ये ही बताने जा रहे हैं कि हाई शुगर लेने से डिप्रेशन (depression) कैसे बढ़ सकता है.
नई दिल्ली:
मीठा एक वो चीज है जो सबको खाना सबको पसंद होता है. फर्क इतना होता है कि कुछ लोग ज्यादा खाते है तो कुछ लोग कम खाते है. लेकिन, खाना सबको पसंद होता है. यहाँ तक कि खाने के बाद मीठा खाना तो मानों सदियों से चली आ रहा इंडियन ट्रेडिशन को दर्शाता है. दूसरे देशों में शायद मीठे का उतना चलन नहीं है. लेकिन, इंडिया में मीठा बनाने या खाने के लिए किसी फेस्टिवल की ज़रुरत नहीं है. अगर हम डायरेक्टली कहें तो, स्वीट्स और इंडियन के लोगों के बीच में डीप रिलेशन है. ऐसा ही एक रिलेशन स्वीटेस और ब्रेन के बीच में भी है. बस डिफरेंस ये है कि स्वीट्स से लोगों का रिलेशन काफी स्वीट है. तो, वहीं स्वीट्स से ब्रेन का रिलेशन बेहद खतरनाक होता है. वैसे तो स्वीट्स जितनी टेस्टी होती है. आपके ब्रेन के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है क्योंकि मीठा खाने से आपकी बॉडी में कई चेंजिस आते है. जो आपके स्ट्रेस को कम करते है. लेकिन, वहीं दूसरी तरफ स्वीट्स से आपको मूड स्विंग्स जैसी प्रॉब्लम्स को फेस करना पड़ सकता है. आज हम आपको इस वीडियो में ये ही बताने जा रहे हैं कि हाई शुगर लेने से डिप्रेशन कैसे बढ़ सकता है. और ना सिर्फ डिप्रेशन बल्कि हाई शुगर से और भी कई डिजिजीज हो सकती है.
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खाने का हमारे मूड और फीलिंग्स पर बहुत इफेक्ट पड़ता है. चीनी मूड में गड़बड़ी और स्ट्रेस को ट्रिगर करने के रिस्क को बढ़ा सकती है. जो कि बॉडी में सूजन को बढ़ाती है. जिसका डिप्रेशन के साथ बहुत बड़ा रिलेशन है. वहीं ये भूख में कमी, नींद के पैटर्न में चेंजिज को भी पैदा करता है. जो कि स्ट्रेस बढ़ाने वाले बड़े फैक्टर्स भी है.
चीनी दो तरह की होती है. पहली सिंपल शुगर होती है. जो कि वेजिटेबल्स, फ्रूट्स और नट्स में पाई जाती है. दूसरी प्रोसेस्ड शुगर होती है. जो कि हाई कैलोरी वाली होती है. ये चॉकलेट, ड्रिंक्स और काफी सारी चीजों में पाई जाती है. सिंपल शुगर दूसरे मिनरल्स, विटामिन और फाइबर की कॉम्प्लिमेंट होती है. इसलिए, बॉडी इसे एब्सॉर्ब्ड करने में टाइम लेती है. आपकी बॉडी में एंट्री करने के बाद शुगर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तोड़ देती है. जो बाद में सेल्स को एनर्जी देने का काम करती है. लेकिन, बहुत ज्यादा एनर्जी आपको धीरे-धीरे मीठे की लत की ओर ले जा सकती है. जब आप कम मीठा खाएंगे तो आपको कमज़ोरी महसूस होगी. जिससे आपके अंदर मीठे की क्रेविंग पैदा होगी.
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जब हम चीनी खाते हैं. तो इसके कारण दिमाग में डोपामाइन का लेवल बढ़ने लगता है. जिससे कि मूड स्विंग्स और एंग्जायटी महसूस होने लगती है. वहीं जब आप बड़ी क्वांटिटी में मीठी चीज़ों खाते हैं. तो आपकी बॉडी कुछ पॉसिबल कैमिकल चेंजिज करना शुरू कर देती है. जिससे शुगर खाने की क्रेविंग और तेज़ी से बढ़ जाती है. अगर उस दौरान आप मीठा नहीं खा पाते हैं. तो आप चिड़चिड़े, सीरियस और हर टाइम उदास महसूस करते हैं.
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