पटाखे हो सकते हैं आपके लिए जानलेवा, इस दिवाली पटाखे बजाने से पहले जान लें ये कुछ गंभीर नुक्सान
कोरोना वायरस के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन से कई तरह के नुक्सान हुए हैं तो वहीं कुछ तरीकें के फायदे भी हुए हैं. कोरोना वायरस से लोकडाउन लगने के बाद लोगों को असली प्रकृति देखने को मिली .
New Delhi:
कोरोना वायरस के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन से कई तरह के नुक्सान हुए हैं तो वहीं कुछ तरीकें के फायदे भी हुए हैं. कोरोना वायरस से लोकडाउन लगने के बाद लोगों को असली प्रकृति देखने को मिली , हवा और आसमान दोनों साफ़ दिखे , खासतौर पर दिल्ली का आसमान, हवा साफ हो गई थी. ऐसा भले ही कुछ समय के लिए था लेकिन दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए यह एक नया और बेहद खूबसूरत और शांति भरा लम्हा था. लेकिन कहते हैं की कुछ अच्छे दिन ज्यादा देर तक नहीं रहते वैसे ही प्रकृति का साफ़ रहना भी था. वजह है लॉकडाउन का खुलना, ट्रैफिक का बढ़ना, कराखानों का फिर शुरू होना, और दिवाली का आना. हर साल इस वक्त प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है.
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क्योकि लोग दिवाली में पटाखों का इस्तेमाल ज्यादा कर के वातावरण प्रदूषित कर देते हैं. ये बात तो हर साल हमें देखने को मिलती है की पटाखों की वजह से हर साल दिवाली के दिन आस पास का मोहाल धुउओं से भर जाता है. पटाखों से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे निकले धुएं से आपकी सेहत को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है. आतिशबाज़ी की वजह से इससे निकले वाले कैमिकल्स की वजह से हवा का स्तर बेहद ख़राब हो जाता है. इसलिए लोग पटाखों को कम जलाने की सलाह देते हैं. क्या आप जानते हैं की पटाखों की वजह से आपको और आपकी सेहत को क्या-क्या नुक्सान हो सकते हैं , तो चलिए आपको बताते हैं पटाखों से होने वाले नुकसानों को, जो आपकी सेहत के लिए बेहद हानिकारक है.
1- सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (SPM) इस तरह के पदार्थ, गले, नाक और आंखों से जुड़ी दिक्कतों को जन्म दे सकते हैं. इसकी वजह से सिर दर्द भी हो सकता है.
2- पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण की वजह से सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंच सकता है, इससे आपको खासी, सर दर्द और कई तरह के गले और आवाज़ की दिक्कत हो सकती है.
3- यही नहीं पटाखों से कई तरह की स्किन प्रॉब्लम भी हो सकती है. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, COPD, सर्दी-ज़ुकाम, निमोनिया,आदि.
4- पटाखों के फटने पर रंग निकलते हैं, जिन्हें बनाने के लिए रेडियोएक्टिव और ज़हरीले तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. यह तत्व लोगों में कैंसर के जोखिम को बढ़ावा दे सकते हैं.
5- वहीं दूसरी तरफ आतिशबाजी की आवाज़ इतनी तेज होती है कि उससे आपके कान भी ख़राब हो सकते है.
6- क्या आप जानते हैं कि 85 डेसिबल से तेज़ आवाज़ सुनने से आपकी सुनने की शक्ति पर असर पर सकता है.
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