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वैक्सीन आई भी तो हो जाएगी बेअसर, लगातार स्वरूप बदल रहा कोरोना वायरस

वैक्सीन से अभी क्लीनिकल ट्रायल भी पूरे नहीं हुए हैं. इन सब के बीच वैज्ञानिकों के लिए सबसे मुश्किल कोरोना वायरस का रुप बदलना साबित हो रहा है.

Updated on: 22 Aug 2020, 02:54 PM

नई दिल्ली:

दुनिया भर के वैज्ञानिक इन दिनों कोरोना वायरस (Corona Virus) की वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने में जुटे हैं. रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया है लेकिन इस वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने मंजूरी नहीं है. वैक्सीन से अभी क्लीनिकल ट्रायल भी पूरे नहीं हुए हैं. इन सब के बीच वैज्ञानिकों के लिए सबसे मुश्किल कोरोना वायरस का रुप बदलना साबित हो रहा है. कोरोना के लगातार स्वरूप बदलने के कारण इसकी वैक्सीन बनाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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वैक्सीन बनी पर कोरोना के म्यूटेशन से बेकार
वैज्ञानिक दिनरात कोरोना की वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं. कई वैक्सीन तैयार भी की गई लेकिन जब तक वैक्सीन कोरोना के टीके के लिए तैयार होती इससे पहले कोरोना वायरस म्यूटेशन से अपना नया वर्जन तैयार कर लेता है. ऐसे में पुरानी वैक्सीन को म्यूटेशन के बाद पैदा हुआ कोरोना के नए वायरस के खात्मे पर सवाल उठ रहे हैं. रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के अब तक कम से कम छह स्ट्रेन पकड़ में आ चुके हैं. अभी जी स्ट्रेन का दबदबा है और पहले सामने आए स्ट्रेन अब खत्म हो रहे हैं. दो स्ट्रेनों को अलग-अलग प्रकार का तब माना जाता है जब वो इंसानों के इम्यून सिस्टम को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है या उनके संक्रमण फैलाने का तरीका अलग-अलग होता है.

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क्या होता है वायरस का म्यूटेशन
म्यूटेशन (Mutation) का मतलब है कि वायरस अपनी तरह ही एक और वायरस पैदा करता है, जिसे कॉपी कहा जाता है. यह कहना मुश्किल है कि यह कॉपी वायरस पहले के वायरस के जैसा ही हो. कई मामलों में यह पहले के वायरस के मुकाबले कमजोर होता है, जो ज्यादा सक्रिय नहीं होता, लेकिन कई बार यह पहले के मुकाबले ज्यादा एक्टिव होता है और संक्रमण की रफ्तार बढ़ा देता है.