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खुशखबरी : कोरोना से जंग में भारत को एक और हथियार, DRDO की दवा 2DG अगले हफ्ते होगी लॉन्च

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से मचे हाहाकार के बीच एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. भारत को अगले हफ्ते एक और कोरोना की वैक्सीन मिलने जा रही है.

Updated on: 15 May 2021, 07:11 AM

highlights

  • कोरोना से जंग में भारत को एक और हथियार
  • DRDO की दवा 2DG अगले हफ्ते होगी लॉन्च
  • पिछले हफ्ते डीजीसीआई ने दी थी दवा को मंजूरी

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से मचे हाहाकार के बीच एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. भारत को अगले हफ्ते एक और कोरोना की वैक्सीन मिलने जा रही है, जिसे देश में ही बनाया गया है. कोविड-19 से निपटने में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( डीआरडीओ ) द्वारा विकसित दवा '2-डीजी' अगले हफ्ते लॉन्च होने जा रही है. इस दौरान पहले बैच में वैक्सीन की 10 हजार खुराक को लॉन्च किया जाएगा, जिसे मरीजों को दिया जाएगा. डीआरडीओ के अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( डीआरडीओ ) के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए 2DG दवा की 10,000 खुराक का पहला बैच अगले हफ्ते की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा. अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 2डीजी दवा की 10,000 खुराक की पहली खेप अगले सप्ताह की शुरुआत में शुरू की जाएगी और मरीजों को दी जाएगी. डीआरडीओ के अधिकारियों ने यह भी बताया कि दवा निर्माता भविष्य में उपयोग के लिए दवा के उत्पादन में तेजी लाने पर काम कर रहे हैं. दवा को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की एक टीम ने विकसित किया है, जिसमें डॉ अनंत नारायण भट्ट भी शामिल हैं.

पिछले हफ्ते डीजीसीआई ने दी मंजूरी

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने डीआरडीओ की इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए विकसित इस एंटी-कोविड दवा को मंजूरी दी थी. डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज (डीआरएल), हैदराबाद के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला आईएनएमएएस द्वारा दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का यह एंटी-कोविड-19 चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है. नैदानिक परीक्षण परिणामों से पता चला है कि यह अणु अस्पताल में भर्ती रोगियों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है एवं बाहर से ऑक्सीजन देने पर निर्भरता को कम करता है.

कोरोना मरीजों के लिए रामबाण होगी दवा

ऑक्सीकेयर सिस्टम डीआरडीओ द्वारा विकसित एक व्यापक प्रणाली है, जो रोगियों को उनके SpO2 स्तरों के संवेदी मूल्यों के आधार पर ऑक्सीजन को प्रशासित करने के लिए नियंत्रित करती है. अधिक मात्रा में कोविड रोगियों के 2-डीजी के साथ इलाज से उनमें आरटी-पीसीआर नकारात्मक रूपांतरण देखा गया. यह दवा कोविड-19 से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान के अनुसार, महामारी के विरुद्ध तैयारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के सिलसिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने 2-डीजी के एंटी-कोविड चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित करने की पहल की.

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पिछले साल अप्रैल में शुरू हुआ था काम

अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान, आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए और पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल बढ़ने को रोकती है. इन परिणामों के आधार पर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑगेर्नाइजेशन (सीडीएससीओ) ने मई 2020 में कोविड-19 रोगियों में 2-डीजी के चरण-2 के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी.

डीआरडीओ ने डीआरएल हैदराबाद के साथ मिलकर बनाई दवा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अपने उद्योग सहयोगी डीआरएल हैदराबाद के साथ मिलकर कोविड-19 मरीजों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किए. मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों में दवा कोविड-19 रोगियों में सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया. दूसरे चरण का संचालन छह अस्पतालों में किया गया और देश भर के 11 अस्पतालों में फेज 2 बी क्लीनिकल ट्रायल किया गया. फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया.

वैक्सीन कितनी प्रभावकारी?

प्रभावकारिता की प्रवृत्तियों में 2-डीजी के साथ इलाज किए गए रोगियों ने विभिन्न एंडपॉइंट्स पर स्टैंडर्ड ऑफ केयर (एसओसी) की तुलना में तेजी से रोगसूचक उपचार प्रदर्शित किया. इस उपचार के दौरान रोगी के शरीर में विशिष्ट महत्वपूर्ण संकेतों से संबंधित मापदंड सामान्य बनाने में लगने वाले औसत समय में स्टैंडर्ड ऑफ केयर (एसओसी) की तुलना में एक बढ़िया अंतर (2.5 दिन का अंतर) देखा गया. सफल परिणामों के आधार पर डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में चरण-3 नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी.

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220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल हुआ

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोविड अस्पतालों में दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच 220 मरीजों पर फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल किया गया. तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े डीसीजीआई को पेश किए गए. 2-डीजी के मामले में रोगियों के लक्षणों में काफी अधिक अनुपात में सुधार देखा गया और एसओसी की तुलना में तीसरे दिन तक रोगी पूरक ऑक्सीजन निर्भरता (42 प्रतिशत बनाम 31 प्रतिशत) से मुक्त हो गए जो ऑक्सीजन थेरेपी/निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है. इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया.

कैसे ली जाती है ये दवा

ग्लूकोज का एक सामान्य अणु और एनालॉग होने के नाते इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और देश में अधिक मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है. एक सैशे में पाउडर के रूप में यह दवा आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है. यह वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकती है. वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को बेजोड़ बनाता है.