logo-image

इस कंपनी ने भारत में कोविड- 19 के इलाज की दवा बाजार में उतारी

डा. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के इलाज की दवा अविगन (फेविपिराविर) टैबलेट बाजार में उतारने की घोषणा की. यह दवा कोविड- 19 के हल्के से लेकर सामान्य संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल के लिये है.

Updated on: 19 Aug 2020, 02:56 PM

दिल्ली:

डा. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Epidemic) के इलाज की दवा अविगन (फेविपिराविर) टैबलेट बाजार में उतारने की घोषणा की. यह दवा कोविड- 19 के हल्के से लेकर सामान्य संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल के लिये है. दवा कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी नियामकीय सूचना में कहा है, ‘‘फूजीफिल्म टोयामा केमिकल कंपनी लिमिटेड के साथ हुये वैश्विक लाइसेंसिंग समझौते के तहत डा. रेड्डीज को अविगन (फेविपिराविर) 200 मिलीग्राम की गोली का भारत में विनिर्माण, बिक्री और वितरण का विशेष अधिकार मिला है.’’

यह भी पढ़ें : कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने में कारगर हैं ये दो दवाएं, रिसर्च में सामने आई बात

डा. रेड्डीज ने कहा है कि उसकी दवा ‘अविगन’ को भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) से कोविड- 19 के हल्के से लेकर मध्यम रूप से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिये मंजूरी मिली है. डा. रेड्डीज लैबोरेटरीज के ब्रांडेड मार्केट्स (भारत और उभरते बाजारों) के सीईओ एमवी रमन्ना ने कहा, ‘‘हमारे लिये उच्च गुणवत्ता, बेहतर क्षमता, वहनीयता और बीमारी का बेहतर प्रबंधन सबसे पहली प्राथमिकता है. मेरा मानना है कि अविगन टैबलेट भारत में कोविड- 19 से प्रभावित मरीजों के लिये प्रभावी इलाज उपलब्ध करायेगी.’’

एक अन्‍य अध्ययन के अनुसार, दो मौजूदा दवाएं कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 (Coronavirus) मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती हैं. जर्नल पीएनएएस (PNAS) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वैक्यूओलिन-1 (Vacuolin-1) और एपिलिमोड (Apilimod) को वर्षों पहले मूल रूप से विकसित किया गया था. ये दोनों दवाएं एक बड़े एंजाइम पिकफाइव काइनेज (PIKfyve Kinase) को निशाना बनाती हैं.

यह भी पढ़ें : WHO ने फिर दिए बुरे संकेत, कहा- कोरोना से लड़ने के लिए हर्ड इम्यूनिटी जैसा कुछ नहीं

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन से पहले कोविड-19 के संक्रमण में इस एंजाइम की भूमिका के बारे में बहुत कम जानकारी थी. उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान इस प्रक्रिया को दोहराने की जरूरत है, जो संकेत देता है कि कोविड-19 के इलाज में यह संभावित पद्धति हो सकती है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) के प्रोफेसर और शोध पत्र के सह वरिष्ठ लेखक टॉमस किरछाउसेन ने कहा कि हमारे अध्ययन से इंगित होता है कि सार्स-कोव-2 के खिलाफ इस काइनेज को विषाणु रोधी दवा से निशाना बनाना प्रभावी रणनीति हो सकती है और कोविड-19 की गंभीरता को कम करने में सहायक होगा.