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हर किसी पर शक (Doubting Problem) करना कोई आम बात नहीं, हो सकती है एक गंभीर बीमारी

शक (Doubt) करने जैसी आम आदत आपको कब एक गंभीर दिमागी समस्या (serious brain problem) की तरफ मोड़ सकती है. चलिए जानते हैं शक करने के लक्षण, इसके कारण और इससे बचाव के तरीके.

Updated on: 15 Sep 2021, 11:06 AM

नई दिल्ली :

अगर किसी को शक करने की आदत है तो इससे उसका मन हमेशा परेशान ही रहेगा. यह एक नकारात्मक मनोवृति (negative attitude) है, जिससे छुटकारा पाना बेहद ज़रूरी है. आप हर किसी पर भरोसा नहीं कर सकते लेकिन जब कोई अपने करीबी पर ही शक करना शुरू कर दे तो यह सिचुएशन उसके लिए ठीक नहीं है. समय रहते अगर इस मानसिक बदलाव को रोका नहीं जाए तो यह आदत आगे चलकर रिश्तों या अपने करीबियों के साथ तनाव पैदा कर सकती है. इसलिए जहां तक संभव हो सके इस आदत को तुरंत बदल लेना ज़रूरी है. दरअसल, शक (Doubt) करने जैसी आम आदत आपको कब एक गंभीर दिमागी समस्या (serious brain problem) की तरफ मोड़ सकती है और आपको धीरे धीरे आगे चलकर मानसिक बीमारियों (mental illnesses) का शिकार बना सकती है. आज हम आपको शक करने के पीछे के कारण, इसके लक्षण और इससे बचने के तरीकों के बारे में बताएंगे. 

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शक करने की वजह 
व्यक्तित्व का विकास (personality development) बचपन से ही किया जाता है. इसको संवारने या बिगाड़ने में परवरिश का बहुत बड़ा रोल होता है. अगर माता-पिता ही शक्की स्वभाव के हों या वे अपने बच्चे को एक सुरक्षित माहौल ना दे पाए हों तो इन कारणों से उस व्यक्ति के मन में शक की भावना घर कर लेती है. अगर इस प्रॉब्लम को वक्त पर नहीं रोका जाए तो यह आगे चलकर गंभीर हो सकती है. बता दें कि, आगे चलकर इस प्रॉब्लम में फसा इंसान पैरानॉइड स्क्रिोज़ोफेनिया या डिल्यूज़न डिसऑर्डर, इन दोनों में से किसी भी बीमारी का शिकार हो सकता है. यह दोनों समस्याएं mental psychological problems हैं.

शक करने के लक्षण
- किसी के भी साथ रिलेशंस अच्छे ना होना
- अपने करीबी लोगों पर विश्वास न करना
- हमेशा उदास और अकेले रहना
- दिमाग में केवल यही चलना कि मेरे साथ ठगी या धोखाधड़ी हो सकती है
- अपने साथ काम करने वाले लोगों को शक की नज़र से देखना

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शक करने से बचने के तरीके 
- अगर आपको पता है कि आपको शक करने की आदत है तो उसे दूर करने की खुद कोशिश करें. इसके लिए आप उस एक्सपीरियंस को याद करें, जिससे कभी आपके      विश्वास को ठेस पहुंची हो और आपको लगा हो कि इस घटना के बाद से मैं इस समस्या का शिकार हुआ या हुई हूं. जैसे ही आप इस समस्या की जड़ ढूंढ लेंगे वैसे ही आप खुद को इससे बचा भी सकते हैं.
- सकारात्मक दृष्टिकोण (positive outlook) रखने वाले लोगों से संपर्क बढ़ाएं और उनकी अच्छी बातों से अपने अंदर बदलाव लाने की कोशिश करें.
- हमेशा याद रखें कि भरोसा करने वाला गलत नहीं होता बल्कि धोखा देने वाला गलत होता है. अगर आपको लगता है कि सामने वाले ने आपको धोखा दिया है तो अपने मन में गिल्टी वाली फीलिंग न आने दें.
- अगर किसी व्यक्ति को देखकर आपके मन में शक है तो उस शख्स से बातचीत करके अपनी गलतफहमी को दूर करें.
- एक बुरी घटना के चलते टूटे भरोसे का प्रभाव अपने भविष्य में बनने वाले रिश्तों पर ना आने दें. दूसरों को भी मौका दें.
- अगर इन प्रयासों के बावजूद भी आपको लगे कि आप में कोई बदलाव नहीं आ रहा है तो आप किसी psychological counselor की मदद भी ले सकते हैं. इसके लिए झिझक महसूस ना करें.