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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल )
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सांकेतिक चित्र( Photo Credit : फाइल )
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी थी. बड़ी मुश्किल से देश ने इस दूसरी लहर पर काबू पाया, अब कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (coronavirus third wave) तबाही मचाने को तैयार है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि जल्दी देश में कोरोना की तीसरी लहर भी दस्तक दे सकती है. भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर देश में अगले महीने दस्तक दे सकती है. आपको बता दें कि एसबीआई की इस रिपोर्ट में ये दावा भी किया जा रहा है कि सितंबर महीने में ये लहर अपने पीक पर पहुंच सकती है.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिसर्च से आई रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि बीती 7 मई को भारत में कोरोना की दूसरी लहर अपने पीक पर पहुंच गई थी. एसबीआई ने बताया कि मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, जुलाई के पहले पखवाड़े से पहले ही देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग 10,000 तक पहुंच सकती है. वहीं अगस्त महीने के दूसरे पखवाड़े तक कोरोना के मामले बढ़ना शुरू हो सकते हैं.
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तीसरी लहर होगी खतरनाक
भारतीय स्टेट बैंक (SBI)की रिपोर्ट में बताया गया है, ग्लोबल आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरी लहर की पीक के दौरान दूसरी लहर की तुलना में ज्यादा अधिक लोग संक्रमित होंगे. वहीं एसबीआई की जारी की गई रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस लहर का असर करीब 98 दिनों तक रह सकता है. वहीं जानकारों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ये लहर भी दूसरी लहर की तरह ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है. हालांकि, इस दौरान भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे वैक्सीनेशन अभियान का भी लाभ भी देश की जनता को मिलेगा. इस लहर में मृतकों की संख्या दूसरी लहर की तुलना में कम हो सकती है.
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तीसरी लहर बच्चे हो सकते हैं ज्यादा प्रभावित
वहीं इसके अलावा देश में तीसरी लहर से बच्चों पर ज्यादा असर दिखाई देगा. इस वजह से इस समय सभी की सबसे पहली प्राथमिकता वैक्सीनेशन की होनी चाहिए. एसबीआई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में ये बताया गया है कि देश में 12-18 साल की उम्र वर्ग में 15-17 करोड़ बच्चे हैं. भारत को विकसित देशों की तरह इस आयुवर्ग की वैक्सीन खरीदने के लिए एडवांस रणनीति बनानी चाहिए. इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि विकसित देशों में दूसरी लहर की अवधि 108 और तीसरी की 98 दिन थी. अगर इस बार बेहतर तैयारी की जाती है तो मौत के आंकड़ों को कम किया जा सकता है.
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