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कोरोना से उबरने के बाद गल रही हैं हड्डियां, पहली बार मुंबई में सामने आए 3 केस

Corona Virus Side Effects: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी हड्डियों के गलने (Bone Death) के कम से कम तीन मामले पाए गए हैं. डॉक्टरों की आशंका है कि अगले कुछ समय में यह मामले और बढ़ सकते हैं.

Updated on: 05 Jul 2021, 11:26 AM

highlights

  • एवैस्कुलर नेक्रोसिस में जांघ की हड्डी में होता है दर्द
  • कोरोना के बाद मरीजों में सामने आ रही अन्य बीमारियां
  • जोड़ों में दर्द के पहले भी सामने आ चुके हैं मामले

नई दिल्ली:

Corona Virus Side Effects: कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होने वाले मरीजों (Corona Patient) को न केवल संक्रमण के दौरान बल्कि संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक कई तरह की समस्या बनी रह रही हैं. पिछले दिनों दिल्ली में मलद्रार से खून और पेट में दर्द के पांच मामलों के बाद अब मुंबई में कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis- AVN) यानी बोन डेथ (Bone Death) के भी कुछ केस सामने आए हैं. एवैस्कुलर नेक्रोसिस में हड्डियां गलने लगती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठीक तरीके से बोन टिशू (Bone Tissue) तक पहुंच नहीं पाता है. इस बीच अब महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई (Mumbai) में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के करीब तीन मामले मिले हैं. दूसरी ओर डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि कुछ समय में इसके मामले और भी बढ़ सकते हैं.

पैरों की हड्डियों में समस्या  
जानकारी के अनुसार मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में 40 साल की उम्र से कम के तीन मरीजों का इलाज किया गया. यह मामले उनके कोविड से उबरने के बाद सामने आए. डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को फीमर बोन (जांघ की हड्डी का सबसे ऊंचा हिस्सा) में दर्द हुआ. तीनों मरीज डॉक्टर थे इसलिए उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई ऐसे में वह तुरंत इलाज के लिए आए.' 

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AVN के मामलों में जल्द हो सकती है बढ़ोत्तरी
एक रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना के मामलों में जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का बड़े स्तर पर इस्तेमाल की वजह से AVN के मामलों में बढ़ोत्तरी होगी. कुछ अन्य आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि उन्होंने भी कोरोना के मरीजों में ऐसे एक या दो मामले देखे हैं. वही, राज्य सरकार की टास्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर राहुल पंडित ने कहा कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस के मामलों पर नजर रखी जा रही है. आमतौर पर स्टेरॉयड के इस्तेमाल के पांच से छह महीने के बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) की समस्या होती है. ऐसे में एक या दो महीने के अंदर इसके मामले सामने सकते हैं, क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के इलाज में जमकर स्टेरॉयड का इस्तेमाल हुआ है.