कोरोना के बी117 वैरियेंट ने बीते साल नवंबर तक 15 देशों में फैलाई जड़ें
लैबोरेट्री सर्विलांस के बढ़ते महत्व के एक अध्ययन से पता चला है कि खतरनाक सार्स-सीओवी-2 वैरियेंट-बी117 वैरियेंट पिछले साल आधे नबंवर तक दुनिया भर के 15 देशों में अपनी जड़ें फैला चुका था.
highlights
- कोरोना का बी117 वैरिएंट ने फैलाईं जड़ें
- पिछले साल नबंवर तक 15 देशों में पहुंचा
- असली कोरोना से ज्यादा खतरनाक बी117 वैरिएंट
न्यूयॉर्क:
कोरोना वायरस महामारी (Corona virus epidemic) ने पूरे विश्व को संकट में बांध दिया है. 2019 के आखिरी में आया कोरोना संक्रमण लगभग डेढ़ साल में पूरी दुनिया को चपेट में ले चुका है और अब नए नए स्ट्रेन (Corona Strain) लोगों की जान पर भारी पड़ रहे हैं. हालांकि लैबोरेट्री सर्विलांस के बढ़ते महत्व के एक अध्ययन से पता चला है कि खतरनाक सार्स-सीओवी-2 वैरियेंट-बी117 वैरियेंट पिछले साल आधे नबंवर तक दुनिया भर के 15 देशों में अपनी जड़ें फैला चुका था. बी117 वैरियेंट (B 117 variant) असली कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है. इसका पता पहले यूनाइटेड किंगडम (UK) में दिसंबर 2020 में पता चला था.
यह भी पढ़ें : Corona Update: भारत में पिछले 24 घंटे में 90 हजार के करीब केस, 6 महीने में सबसे ज्यादा मामले
एक जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ये धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपनी जड़ें फैला रहा था. इसका खुलासा संक्रामक रोगों के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाशित एक जर्नल के जरिये हुआ है. ऑस्टीन में स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय के बॉयोलॉजी के प्रोफेसर लॉरेन एन्सल मैयर्स ने बताया , 'हमारे अनुमान के अनुसार बी117 वैरियेंट यूएस में अक्टूबर 2020 में पाया गया था.' इसकी जांच करने के लिए 15 देशों से आंकड़े जमा किए गए थे.
देखें : न्यूज नेशन LIVE TV
अनुमान के अनुसार यूके से दुनिया भर के 15 देशों में सफर करने वाले लोगों ने पिछठले साल 22 सितंबर से 7 दिसंबर तक तमाम देशों में यह वायरस फैलाया था. लेकिन यूएस में यह वैरियेंट अक्टूबर महीने के बीच में पहुंचा था. मैयर्स में कहा 'इस स्टडी से लैबोरेट्री सर्विलांस की महत्व का पता चलता है.' पहले वायरस सैंपल की स्टडी करके नए वैरियेंट का पता लगाना मुश्किल काम था.
यह भी पढ़ें : लॉकडाउन नहीं विशेषज्ञ इसे मान रहे कोरोना रोकने का कारगर हथियार
रिसर्च टीम ने सीक्येनसिंग के लिए एक ऑनलाइन कैल्कुलेटर बनाया जिससे दोनों को मिलाकर नए वैरियेंटस का पता लगा सके. टैक्सास विश्वविद्यालय के सपैन्सर वूडी ने कहा कि, 'नए केलकयूलेटर से हम सार्स-सीओवी-2 से फैलने वाले वायरस के खतरे को कम कर सकते हैं. इससे हमें लैब में नए वैरियेंट पता करने में आसानी होती है.'
(इनपुट - आईएएनएस)
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए