सावधान: बच्चों में ये लक्षण हो सकते हैं कोरोना के संकेत, जानिए घर पर कैसे करें बचाव
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर आगाह किया है, ऐसे में बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक है.
highlights
- वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर आगाह किया है
- कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है
- बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए कुछ उपाए जरूरी
नई दिल्ली:
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में खूब तबाही मचाई है। इस बीच लाखों की तदाद में लोग संक्रमित हुए और हजारों की संख्या में लोगों की जान गईं। कोरोना संक्रमण सेे हुई बर्बादी का मंजर ऐसा था कि देखकर हर किसी की रूह कांप उठे। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना ने इस बार युवाओं को सबसे ज्यादा अपना निशाना बनाया। एक समय ऐसा आया जब देश का स्वास्थ्य ढ़ांचा भी दम तोड़ता दिखाई दिया। हालांकि अब हालात लगभग सामान्य हो चुके हैं, देश भर में लॉकडाउन भी खोला जा चुका है। लेकिन याद रखने वाली बात यह है कि कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है। डॉक्टर्स और वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पहले ही आगाह कर चुके हैं। माना जा रहा है कि कोरोना की आने वाली लहर में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को सकता है। ऐसे में यह समझना बहुत जरूरी है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सुरक्षित कैसे रखा जाए। तो चलिए आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताते हैं, जिनको देखकर यह समझा जा सकता है कि बच्चा कोरोना संक्रमित है या नहीं।
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बच्चों में दिख सकते हैं कोरोना के ये लक्षण-
- 8 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों का स्वाद या गंध जा सकती है
- बुखार आना
- थकान महसूस होना
- शरीर में कमजोरी आना
- दस्त लगना
- सांस लेने में परेशानी
- उल्टी आना
- ठंड लगना
- मांसपेशियों में और सिरदर्द होना
- यही नहीं बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम भी
- दिखाई दे सकते हैं। इसमें गर्दन में दर्द, बुखार आना,
- आंखों का लाल होना, उल्टी या दस्त, गर्दन में दर्द,
- होठों का फट जाना या लाल हो जाना, हाथ-पैरों पर
- सूजन आदि। बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखाई देते ही सावधान हो जाना चाहिए।
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ऐसे करें बचाव
अगर बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत अलर्ट हो जाना है। इस तरह की परिस्थितियों में बच्चों के साथ ही घर के अन्य सदस्यों को भी अपना टेस्ट कराना चाहिए। इसके साथ ही रिपोर्ट आने तक सबको अलग-अलग कमरों में आइसोलेट हो जाना चाहिए। बच्चों को मास्क आदि पहनाकर रखना चाहिए।
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