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फेफड़ों का रोगी बना रही है दिल्ली की जहरीली हवा, सांस की समस्या बढ़ी

बुजुर्ग लोग और बच्चे प्रदूषण के मुख्य शिकार हैं. लंबे समय तक उच्च पीएम 2.5 के स्तर के संपर्क में रहने से फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है.

Updated on: 15 Nov 2021, 11:54 AM

highlights

  • अस्पताल में बढ़ी सांस की समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या
  • पॉल्यूशन लॉकडाउन से भी नहीं सुधरने वाली हवा की गुणवत्ता
  • कोरोना से ठीक हुए लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत

नई दिल्ली:

दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में दिवाली (Diwali) के बाद प्रदूषण के कारण सांस की समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि उनके पास हर रोज 10-12 मरीज सांस लेने में तकलीफ के साथ अस्पताल आते हैं. संभवतः इसी स्थिति के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सरकार ने पॉल्यूशन लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है. इसके बावजूद लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह आ गया है कि सांस से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोग इन दिनों घर के अंदर में मास्क लगाने पर मजबूर हैं.

बुजुर्ग और बच्चे प्रदूषण के ज्यादा शिकार
डॉ. सुरेश कुमार ने कहा, दिवाली के बाद वायु प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है. बुजुर्ग लोग और बच्चे प्रदूषण के मुख्य शिकार हैं. लंबे समय तक उच्च पीएम 2.5 के स्तर के संपर्क में रहने से फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है. दिल्ली में रविवार को हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ और यह शनिवार के 'गंभीर' से 'बेहद खराब श्रेणी' में पहुंच गई. वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के पूवार्नुमान के अनुसार, एक्यूआई कम से कम मंगलवार तक बहुत खराब श्रेणी में बना रहेगा. प्रदूषण के कारण सांस और अन्य समस्याओं के बारे में डॉ. कुमार ने कहा कि उनके पास 120 रोगियों की क्षमता है, लेकिन दिवाली के बाद प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के प्रकोप के कारण उन्हें अस्पताल में हर दिन लगभग 140 रोगी मिल रहे हैं.

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अस्पताल में बढ़ गए मरीज
उन्होंने कहा कि इमरजेंसी और ओपीडी वार्ड में कुल 140 मरीज आ रहे हैं, जिनमें सभी तरह की समस्याएं हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर सांस और ऑक्सीजन के स्तर में कमी से पीड़ित हैं. इसमें बच्चों में अस्थमा के मामलों की बढ़ती संख्या भी शामिल है. उन्होंने कहा कि केवल दो चीजें मास्क का उपयोग और बाहर कदम रखने से बचना, प्रदूषण के ऐसे बढ़ते स्तर से लोगों की रक्षा कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस समय पीएम 2.5 कणों के उच्च स्तर से फेफड़ों में संक्रमण, आंखों में जलन और सांस की समस्या हो सकती है.

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हवा की गुणवत्ता जल्द सुधरने वाली नहीं
सीनियर कंसल्टेंट (इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट) डॉ उज्ज्‍वल पारख कहते हैं कि हवा का वेग बढ़ने से बेशक एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स में सुधार हो सकता है, लेकिन एयर क्‍वालिटी एक दिन में सामान्य नहीं होगी. कारण है कि इसके सोर्स मजबूत हैं. ये धीरे-धीरे हमारे फेफड़ों को बर्बाद कर देंगे. जहरीली हवा से सांस की बीमारी पैदा होगी. उनका कहना है कि जो लोग कोरोना से हाल में ठीक हुए हैं और अभी पूरी तरह से स्‍वस्‍थ होने में थोड़ी-बहुत कसर बची है, उन्‍हें निश्चित रूप से सांस से जुड़ी समस्‍याएं आएंगी. भरपूर उपचार के बाद भी फेफड़े के रोगियों के लक्षण कम नहीं हो रहे हैं. इस वायु प्रदूषण का असर हर उम्र के लोगों पर पड़ेगा. ऐसे में लोगों के लिए घर के अंदर ही रहना अच्‍छा है.