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Good News: बच्‍चों के लिए जल्द वैक्‍सीन की उम्‍मीद, दिल्‍ली AIIMS में आज से कोवैक्‍सीन का ट्रायल

कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर के खतरे से पहले बच्‍चों के लिए जल्‍द ही कोरोना की वैक्‍सीन मिलने की उम्‍मीद जग रही है.

Updated on: 07 Jun 2021, 07:12 AM

highlights

  • पिछले महीने ट्रायल को मिली थी मंजूरी
  • हाल में पटना एम्स में शुरू हुआ ट्रायल
  • कोवैक्सीन है स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस ( Corona Virus ) संक्रमण की तीसरी लहर के खतरे से पहले बच्‍चों के लिए जल्‍द ही कोरोना की वैक्‍सीन मिलने की उम्‍मीद जग रही है. इस दिशा में आज से एक और कदम आगे बढ़ाया जा रहा है. पटना ( Patna ) के बाद अब राजधानी दिल्‍ली में बच्‍चों पर कोरोना वैक्‍सीन ( Corona Vaccine ) 'कोवैक्‍सीन' का ट्रायल शुरू हो रहा है. दिल्‍ली एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान) में आज से बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा. न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है.

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इससे पहले पटना एम्‍स में 2 से 18 साल की उम्र के बच्‍चों पर कोवैक्‍सीन का ट्रायल शुरू किया गया था. बीते हफ्ते पटना एम्स में इसकी शुरुआत की गई. एम्‍स पटना के डायरेक्‍टर डॉ प्रभात कुमार सिंह ने बताया था कि यहां अभी 12-18 साल के बच्‍चों पर ट्रायल शुरू किया गया. इसके बाद 6-12 साल की उम्र के बच्‍चों पर ट्रायल होगा और फिर 2-6 साल के बच्‍चों पर ट्रायल किया जाएगा. आपको बता दें कि जहां ट्रायल होना है उन संस्‍थानों में दिल्‍ली एम्‍स को भी शामिल किया गया है. एम्‍स पटना और नागपुर स्थित मेडिट्रिना इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को भी ट्रायल साइट के लिए चुना गया.

गौरतलब है कि कोवैक्सीन एक स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने बनाया है. अभी तक देश में 18 सालसे ऊपर के लोगों को यह वैक्सीन दी जा रही है. हालांकि पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने अपने निर्माता भारत बायोटेक को 2 से 18 साल के आयु वर्ग में कोवैक्सिन (कोविड वैक्सीन) के दूसरे-तीसरे फेज के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति दी थी.

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हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने दो से 18 साल के आयु वर्ग में कोवाक्सिन के दूसरे-तीसरे चरण का परीक्षण करने का प्रस्ताव दिया था. तीव्र नियामक प्रतिक्रिया के रूप में, प्रस्ताव इस वर्ष 11 मई को विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) (कोविड -19) में विचार-विमर्श किया गया था. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद समिति ने प्रस्तावित दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण को कुछ शर्तों के लिए अनुमति देने की सिफारिश की थी. जिसके बाद डीसीजीआई ने विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिश को स्वीकार करते हुए बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी.