महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को धर्म का रास्ता दिखाया था बल्कि जीवन को जीने का तरीका भी बताया और वहीं उन्होंने खाने के सही नियमों की भी जानकारी दी थी. खाना खाने से ना सिर्फ आपको अच्छा पोषण मिलता है बल्कि बीमारियां भी दूर रहती हैं. अगर आपके शरीर से बीमारियां दूर रहती हैं तो आप ज्यादा टाइम तक जी सकते हैं. योगी भी ऐसे ही खाने को ग्रहण करते हैं.
सात्विक खाएं
अध्याय 17 के श्लोक 7 से 10 तक खाने के तीन प्रकार यानी सात्विक, राजसिक और तामसिक के बारे में बताया गया है. सात्विक डाइट के अंदर ताजे फल, सब्जी, साबुत अनाज, दूध, नट्स और हल्का भोजन आता है. यह खाना आपको एनर्जी और शांति देता है.
बासी ना खाएं
श्लोक 10 में ज्यादा पके, सड़े, कई बार गर्म किए गए खाने को ना खाने की सलाह दी है. ऐसे खाने में तामसिक गुण होते हैं जो आलस पैदा करता है. इससे शारीरिक और मानसिक सेहत खराब होती है. ताजा खाना बनाकर खाएं.
भावनात्मक शांति
पूरी गीता में खाने के प्रति आदर और श्रद्धा रखना महत्वपूर्ण बताया गया है. भगवान श्री कृष्ण भी खाने से पहले भोजन को प्रसाद का आदर भाव देने के लिए कहते हैं. खाते हुए दिमाग को सजग और सतर्क रखने से दिमाग और शरीर का एक संबंध बनता है. जिससे डायजेशन और भावनात्मक शांति बढ़ती है.
सरल खाना खाएं
श्लोक 9 में राजसिक भोजन को बेचैनी, चिंता और आकांक्षा बढ़ाने वाला बताया गया है. इस भोजन में अत्यधिक मसालेदार, नमकीन या खट्ठे पदार्थ होते हैं, जो अक्सर चिड़चिड़ापन बढ़ाता है. योगिक जीवन के लिए दिमाग और मन को शांत रखना जरूरी है. इसलिए उत्साह को अत्यधिक करने की जगह शांति बढ़ाने वाला सरल खाना खाएं.
ईटिंग पैटर्न
अध्याय 6 के 16-17 श्लोक में बताया गया है कि जो खाने, रिक्रिएशन और काम में संयम रहेगा, वो दुख को हराकर शांति व सफलता प्राप्त करेगा. खाने का फिक्स टाइम, सोने की अच्छी आदत और एक निश्चित ईटिंग पैटर्न से डायजेस्टिव सिस्टम को मदद मिलती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)