बारिश का मौसम चल रहा है. इस मौसम में हर तरफ हरियाली हो जाती है. बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. बारिश के मौसम में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है. जहां पानी जमा रह जाता है, वहां मलेरिया और डेंगू फैलाने वाले मच्छर पनपने लगते हैं. अक्सर रात को सोते हुए या शाम के समय, हमें अचानक मच्छर के काटने का अहसास होता है. कभी हम फुर्ती से मच्छर को मार देते हैं तो कभी ये हमें चकमा दे देते हैं. हमारा खून चूसने के बाद ये झट से उड़ जाते हैं.
नर या नादा मच्छर
नर मच्छर लोगों को नहीं काटते, सिर्फ मादा मच्छर ही लोगों को अपना शिकार बनाती हैं. मादा मच्छर जब अपने अंडों के विकास के लिए हमारा खून चूसती है तो वह हमें कई तरह की बीमारी भी दे जाती है, जैसे कि मलेरिया, डेंगू और जीका. चलिए, आपको बताते हैं कि कैसे मच्छर आपका खून चूसते हैं और उसका पूरा चीरने-फाड़ने से लेकर खून पीने तक प्रोसेस कैसे होता है.
1 मिनट में इतना खून चूस जाते हैं
मच्छर की बॉडी में 6 नीडल्स जैसे स्ट्रक्चर होते हैं. इनकी मदद से ही मच्छर खून चूसते हैं. मच्छर एक नीडल से इंसान की बॉडी में एनेस्थीसिया जैसा लिक्विड छोड़ते हैं. यानी जब तक आपको अहसास होता है कि आपको मच्छर काट रहे हैं, तब तक ये अपना काम कर चुके होते है. एक मच्छर एक मिनट में इंसान की बॉडी से डेढ़ एमएल खून चूस जाते हैं.
ये है पूरा प्रोसेस
मच्छरों के शरीर में 150 से ज्यादा रिसेप्टर होते हैं. ये मच्छर को यह समझने में मदद करते हैं कि सामने वाले इंसान का खून चूसने लायक है या नहीं और पानी लार्वा के पनपने के लिए सही है या नहीं. जब मादा मच्छर हमें काटती है, तो उसकी एक नरम सी चमड़ी जैसी परत ऊपर मुड़ जाती है और बाहर ही रहती है. इसके बाद मच्छर अपनी 6 पतली-पतली सुई जैसी चीजें हमारी त्वचा के अंदर डालती है, इन सुई जैसी चीजों में से दो के आगे बहुत छोटे-छोटे दांत होते हैं, जिनसे मच्छर हमारी त्वचा को काटकर खून निकाल पाती है.
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