हर महीने चेंज हो जाती है Periods की डेट, तो हो जाएं सावधान हो सकती है ये दिक्कत

मासिक धर्म यानी की पीरियड्स साइकिल 28 से 35 दिनों की होती है. हालांकि कई बार इसमें 2-3 दिनों की देरी भी हो जाती है. इसकी वजह से महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसा होने से महिलाओं को तनाव हो जाता है.

मासिक धर्म यानी की पीरियड्स साइकिल 28 से 35 दिनों की होती है. हालांकि कई बार इसमें 2-3 दिनों की देरी भी हो जाती है. इसकी वजह से महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसा होने से महिलाओं को तनाव हो जाता है.

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Nidhi Sharma
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Periods की डेट

Periods की डेट Photograph: (Social Media)

पीरियड्स जब टाइम से पहले या लेट आता है, तो इसे अनियमित पीरियड्स या असामान्य मासिक धर्म कहा जाता है. कई महिलाओं की पीरियड्स की डेट सेम ही रहती है, लेकिन कई महिलाओं की डेट चेंज हो जाती है. जैसे की किसी को पीरियड्स पहले महीने 15 को आए है और फिर दूसरे महीने उन्हें 25 को आ रहे हैं और फिर तीसरे महीने उन्हें 25 की जगह 10 को आ रहे हैं. तो  उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. अगर आपको भी यह दिक्कत होती है, तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है.

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बर्थ कंट्रोल पिल्स

कई महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स खाती हैं, जिसकी वजह से उनके पीरियड्स लेट आते हैं. वहीं इस तरह की पिल्स ज्यादा खाने से बॉडी के नेचुरल हार्मोनल साइकिल पर प्रभाव पड़ने लगता है. जिसकी वजह से पीरियड्स लेट होते हैं. 

स्ट्रेस

अगर आप ज्यादा स्ट्रेस लेती हैं या फिर आपको ज्यादा थकान होती है, तो इससे इर्रेगुलर पीरियड्स हो सकते हैं. जो पिट्यूटरी ग्लैंड को कंट्रोल करता है. ज्यादा स्ट्रेस के चलते शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है. 

पीसीओएस

पीसीओएस यानी की पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोल इर्रेगुलर पीरियड्स के कारणों में से एक है. ये एक हार्मोनल समस्या है. इससे पीड़ित महिलाओं में पुरुष हार्मोन यानी एंड्रोजन का स्तर बढ़ने लगता है और महिला हार्मोन यानी प्रोजेस्ट्रॉन की कमी होने लगती है. जिसकी वजह से ओवरीज में सिस्ट बनने लगते हैं. 

क्रोनिक बीमारी

अगर आपको क्रोनिक बीमारी जैसे डायबिटीज या थायराइड जैसी बीमारियां है, तो आपको इर्रेगुलर पीरियड्स हो सकते हैं. अगर आपकी पीरियड्स की डेट चेंज हो रही हैं, तो आप स्ट्रेस से बचें. 

क्यों है खतरनाक

एक्सपर्ट के मुताबिक कभी-कभी पीरियड्स डेट में बदलाव होने के हानिकारक नतीजे नहीं दिखते हैं. हालांकि अगर आप लंबे टाइम से इस तरह की परेशानी की सामना कर रही हैं, तो ये इनफर्टिलिटी, ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया की वजह भी बन सकती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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