छोटा बच्चा जब घर में आता है, तो पूरे घर में एक रौनक लग जाती है. हर कोई उस बच्चे के साथ खेलना, उसके साथ बात करना और उसके साथ हंसना चाहता है. वहीं बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए लोग उसे गुदगुदी करते हैं. यह काम आपने अक्सर खुद भी किया होगा, लेकिन क्या आप जानते है कि यह आपके बच्चे के लिए कितना नुकसानदायक साबित हो सकता है. इसका प्रभाव बच्चों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर होता है.
दो प्रकार की होती है गुदगुदी
गुदगुदी शरीर में फील होने वाली एक सनसनी होती है, जो कि शरीर के किसी भी खास अंग को छूने से हो सकती है. वहीं गुदगुदी दो तरह की होती है. पहली, नाइस्मिसिस जो कि अच्छा महसूस कराने वाली होती है. जो कि हंसी से जूड़ी नहीं होती है और दूसरी गार्गलेसिस जो कि तेज महसूस होती है. जिसमें गुदगुदी वाले अंग जैसे हथेली, तलवा, बगल, जिस पर एक तेज दबाव दिया जाता है. जिस वजह से गुदगुदी होती है.
क्या हैं इसके नुकसान
मानसिक तनाव और डर
कुछ बच्चों को ज्यादा गुदगुदी करने से डर और बेचैनी महसूस हो सकती है. उन्हें ऐसा लग सकता है कि वे अपनी बॉडी पर कंट्रोल खो रहे हैं, जिससे उनमें असुरक्षा की भावना विकसित हो सकती है.
सांस फूलने का खतरा
लगातार गुदगुदी करने से बच्चे की सांस फूल सकती है और उसे घबराहट महसूस हो सकती है. छोटे बच्चों में यह समस्या और भी ज्यादा हो सकती है, क्योंकि उनकी रेस्पिरेटरी सिस्टम (Respiratory System) इतनी मजबूत नहीं होती है.
मांसपेशियों पर असर
लगातार गुदगुदी करने से बच्चों की मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है, जिससे की उनमें दर्द या ऐंठन की समस्या हो सकती है. इसलिए कभी भी बच्चों को गुदगुदी नहीं करनी चाहिए.
हिचकी
जरूरत से ज्यादा गुदगुदी करने से बच्चे को हिचकी आ सकती है. दरअसल, लंबे टाइम तक बच्चे को गुदगुदी करने से बच्चे को छाती और पेट में दर्द महसूस हो सकता है. ऐसे में माता-पिता और रिश्तेदारों को ध्यान रखना चाहिए कि वो बच्चों को बहुत ज्यादा गुदगुदी ना करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)