क्या वाकई पानी के छींटे मारने से होश में आ जाता है इंसान, जानिए इसके पीछे की सच्चाई

अक्सर आपने टीवी में या फिर फिल्मों में देखा होगा कि जब भी कोई आदमी बेहोश होता है तो लोग पानी के छींटे मारने लग जाते हैं जिससे की वह होश में आ जाता है. लेकिन क्या यह सच है या फिर कुछ और आइए आपको बताते है.

अक्सर आपने टीवी में या फिर फिल्मों में देखा होगा कि जब भी कोई आदमी बेहोश होता है तो लोग पानी के छींटे मारने लग जाते हैं जिससे की वह होश में आ जाता है. लेकिन क्या यह सच है या फिर कुछ और आइए आपको बताते है.

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Nidhi Sharma
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fainting Photograph: (Freepik)

देश के कई इलाकों में भीषण गर्मी पड़ रही है. इस गर्मी में कई बीमारियों का खतरा रहता है. गर्मी के मौसम में लोग बेहोश भी हो जाते हैं. वहीं अगर कोई बेहोश हो जाता है तो दूसरे लोगों को यह पता नहीं होता कि उस व्यक्ति को कैसे संभाले. वहीं कई लोग बेहोश हुए पानी के मुंह पर पानी के छींटे मारने लग जाते है. लेकिन ऐसा करना कितना ठीक है और कितना ठीक नहीं आइए आपको बताते है. 

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स्टडी में हुआ खुलासा 

जर्नल ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (2025) की एक स्टडी के मुताबिक, ठंडे पानी के छींटे चेहरे पर मारने से नर्वस सिस्टम एक्टिव हो सकता है, जिससे की कुछ मामलों में हल्की बेहोशी  से पीड़ित व्यक्ति को होश आ सकता है. यह असर स्किन पर ठंडक और ब्लड सर्कुलेशन में अचानक इजाफा होने के कारण होता है. 

चोट लगने पर कोई फायदा नहीं

वहीं गंभीर मामलों में जैसे हार्ट फेलियर या सिर में चोट लगने पर इससे फायदा नहीं मिलता है.  एक्सपर्ट के मुताबिक पानी के छींटे केवल हल्की बेहोशी में काम कर सकते हैं, लेकिन यह कोई विश्वसनीय तरीका नहीं है. गंभीर स्थिति में इससे सिर्फ वक्त बर्बाद हो सकता है. 

क्यों होता है इंसान बेहोश

किसी भी शख्स के बेहोश होने के कई कारण हो सकते हैं. इसमें डिहाइड्रेशन, लो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट संबंधित दिक्कतें और सिर में चोट आदि दिक्कतें शामिल हैं. वहीं 15-20 पर्सेंट मामले डिहाइड्रेशन के आते हैं. अगर यह दिक्कत गर्मी से हुई है तो पानी मददगार हो सकता है. हालांकि, हार्ट या दिमाग से जुड़ी दिक्कतों में यह खतरनाक साबित हो सकता है.

कब मारने चाहिए छींटे

गर्मी की वजह से चक्कर आने पर हल्की बेहोशी हो सकती है, जिसमें ठंडे पानी के हल्के छींटे मारने से नर्वस सिस्टम एक्टिव हो सकते हैं. वहीं इससे होश में आने में मदद मिलती है. वहीं यह तरीका तब कारगर होता है जब व्यक्ति पूरी तरह बेहोश न हो और प्रतिक्रिया दे सके. छींटे बहुत जोर से या अधिक मात्रा में नहीं मारने चाहिए, क्योंकि इससे सांस लेने में रुकावट हो सकती है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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