सावधान! अगर आप भी पीते हैं मिनरल वॉटर तो इस खबर को जरूर पढ़ें, ले रहे हैं जहर
आपको जानकार हैरानी होगी कि प्लास्टिक के उपयोग को लेकर जो रिपोर्ट आई है वह बहुत हैरान कर देने वाली है.
नई दिल्ली:
हम में से कितने ही लोग होंगे जो सोचते हैं कि पैसे देकर हम जो मिनरल वाटर बोटल खरीद रहे हैं यह हमें बिमारी से दूर रखेगा. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि प्लास्टिक के उपयोग को लेकर जो रिपोर्ट आई है वह बहुत हैरान कर देने वाली है. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रतिदिन विभिन्न माध्यमों से 39000 से 52000 माइक्रो प्लास्टिक के कण हमारे शरीर में घुल रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा माध्यम प्लास्टिक को बॉटल हैं.
आंख से नहीं दिखेंगे ये कण
पर्यावरण विज्ञान और तकनीक (Environment science and technology) नामक मैगजीन की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य साल भर में तकरीबन 39000 से 52000 माइक्रोप्लास्टिक उपभोग कर रहा है. सांस लेते समय शरीर के अंदर गए माइक्रोप्लास्टिक को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इसकी संख्या 74,000 माइक्रो प्लास्टिक के आसपास हो जाती है. इन माइक्रो प्लास्टिक्स का आकार 5 मिलिमीटर से भी छोटा होता है. इतना छोटा कि माइक्रोस्कोप के बिना इन्हें देखना संभव नहीं है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बियर, नमक, सीफूड, सूगर, एल्कोहल में भी माइक्रो प्लास्टिक के ठीक-ठाक कण मौजूद होते हैं. जो शरीर में घातक कैंसर जैसी बीमारी का एक कारण बन सकते हैं. एक माइक्रोप्लास्टिक का कण किसी भी प्लास्टिक का वह सबसे छोटा भाग है, जिसका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है.
क्या होता है जब इस तरह प्लास्टिक के कण आपके शरीर के अंदर जाते हैं? वैज्ञानिक अभी इसको लेकर यह बताने की स्थिति में नहीं पहुंच पाये हैं कि इससे कितना नुकसान हो सकता है. साल 2017 में King's College in London hypothesized की एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा मात्रा में प्लास्टिक का उपभोग शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है. अलग- अलग प्रकार के प्लास्टिकों में अलग अलग जहरीले तत्व होते हैं. कई प्लास्टिक में क्लोरिन और लेड जैसे खतरनाक तत्व भी पाए जाते हैं. यह इंसान के अंदर मौजूद रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को भी बहुत हद तक प्रभावित करते हैं. रिपोर्ट में बताया है कि वैज्ञानिक अभी इसे जानने में लगे हुए हैं कि कितनी मात्रा में प्लास्टिक का उपभोग मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.
हमारे शरीर में कई माध्यमों से प्लास्टिक के कण पहुंच रहे हैं. सीफूड खाते हुए, सांस लेते समय और खाना खाते समय भी प्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंच रहा है. इस हिसाब से ये बेहद मुश्किल है कि माइक्रोप्लास्टिक के उपभोग को रोका जा सके. रिपोर्ट में इस बात का पर जोर दिया गया है कि हम अपनी जीवनशैली में बदलाव कर इसे कम जरूर किया जा सकता है. बॉटल बंद पानी की जगह सप्लाई के पानी का उपयोग करें. खाने में उन पदार्थों का उपभोग करें, जिसमें कम मात्रा मे माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी हो. इससे प्लास्टिक के उपभोग की मात्रा खत्म तो नहीं की जा सकती लेकिन कम जरूर की जा सकती है.
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