कौन था सोहराबुद्दीन, जिसके एनकाउंटर के चर्चे आज भी हैं
सोहराब के साथ एक फार्महाउस में उसकी पत्नी कौसर बी को भी मार दिया गया.
नई दिल्ली:
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में सभी 22 आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, इस मामले में आरोपियों के खिलाफ न सबूत है और न ही गवाहों के बयान संतुष्टिजनक हैं. आइए जानते हैं, कौन था सोहराबुद्दीन और कैसे मुठभेड़ में वह मारा गया. 26 नवंबर 2005 को एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन को मार डाला गया था. सोहराब के साथ एक फार्महाउस में उसकी पत्नी कौसर बी को भी मार दिया गया. सोहराबुद्दीन मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झिरन्या गांव का रहने वाला था. वह हिस्ट्रीशीटर था, जिसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे. सोहराब के एनकाउंटर के ठीक एक महीने बाद 26 दिसंबर 2006 को उसके साथी तुलसीराम प्रजापति को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया. इससे पहले तुलसी प्रजापति को सोहराबुद्दीन शेख के मुठभेड़ का चश्मदीद गवाह बनाकर पेश किया गया था. इस एनकाउंटर के बाद गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका पर भी सवाल उठे थे. पुलिस के मुताबिक सोहराबुद्दीन के अंडरवर्ल्ड माफिया के अलावा पाकिस्तान के आईएसआई से भी संबंध होने के आरोप लगे थे. उनके हथियारों की तस्करी में लिप्त होने तथा छिपाने में मदद करने के आरोप भी लगे.
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सोहराबुद्दीन शेख के झिरन्या गांव स्थित घर से वर्ष 1995 में लगभग 40 एके-47 राइफल बरामद हुई थी. तब उसके खिलाफ अवैध हथियार तस्करी का मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद सोहराबुद्दीन पर गुजरात व राजस्थान के मार्बल व्यापारियों से हफ्ता वसूली और हत्या के मुकदमे दर्ज हुए. सोहराबुद्दीन 2002 से ही तुलसी प्रजापति के साथ गैंग बनाकर वसूली का काम कर रहा था. गैंग बनाने के बाद उसने अपने प्रतिद्वंद्वी हामिद लाला की हत्या कर दी. सीबीआई के मुताबिक, 2004 में सोहराबुद्दीन ने राजस्थान के आरके मार्बल्स के मालिक पटनी ब्रदर्स को उगाही के लिए फोन किया था.
माना जाता है कि गुजरात व राजस्थान की मार्बल लॉबी की शिकायत पर सोहराबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बनाई गई और डीजी बंजारा को कार्रवाई के निर्देश दिए गए. जबकि उसके खिलाफ गुजरात में कोई मामला भी दर्ज नहीं था. चार्जशीट के मुताबिक, बंजारा ने अहमदाबाद पुलिस के क्राइम ब्रांच के चीफ अभय चुडस्मा से संपर्क किया और सोहराबुद्दीन के खिलाफ गुजरात में मामला दर्ज किया गया. चुड़ास्मा ने तुलसी प्रजापति से संपर्क किया और सोहराबुद्दीन को गुजरात बुलाने को कहा. बंजारा ने भी प्रजापति से मुलाकात की और उसे आश्वासन दिया कि सोहराबुद्दीन को कुछ नहीं होगा.
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इस मामले में दायर सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक 23 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन और कौसर बी एक बस में हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे. तभी गुजरात के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने उनकी बस को रुकवाया. पुलिस सिर्फ़ सोहराब को बस से उतारना चाहती थी, लेकिन कौसर बी अपने पति को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी और उसके साथ ही उतर गई.
चार्जशीट के अनुसार इसके बाद इस जोड़े को अहमदाबाद ले जाकर एक मुठभेड़ में मार गिराया गया. इसके बाद डीजी बंजारा के पैतृक गांव में कौसर बी का अंतिम संस्कार कर दिया गया. बताया जा रहा है कि एनकाउंटर से पहले सोहराबुद्दीन राजस्थान में छिपा था. 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद सर्किल और विशाला सर्किल के टोल प्वाइंट पर सुबह तड़के 4 बजे सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर कर दिया गया. चार्जशीट के मुताबिक सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने उसके भाई की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसके बाद चुड़ास्मा ने केस वापस लेने के लिए मोटी रकम का लालच दिया. जब रुबाबुद्दीन ने इनकार कर दिया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई.
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