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'आप' से गठबंधन पर दिल्ली कांग्रेस में विद्रोह की स्थिति, अजय माकन-शीला दीक्षित गुट में तलवारें खिंची

'आप' से गठबंधन की राह में एक बड़ा रोड़ा सीट शेयरिंग फॉर्मूले को भी माना जा रहा है. बदले समीकरणों के तहत गठबंधन होने की स्थिति में कांग्रेस दिल्ली में तीन सीट चाहती है, जबकि 'आप' को हरियाणा में सिर्फ एक और पंजाब में एक भी सीट नहीं देने के पक्ष में है.

Updated on: 03 Apr 2019, 10:31 AM

नई दिल्ली.:

दिल्ली कांग्रेस के भीतरखाने में सब कुछ सही नहीं चल रहा है. आम आदमी पार्टी 'आप' से गठबंधन को लेकर अब तलवारें खुलकर खिंच गई हैं. नौबत यहां तक आ पहुंची है कि भूतपूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने 'आप' से गठबंधन नहीं होने की स्थिति में लोकसभा चुनाव लड़ने से ही इंकार कर दिया है. यह तब है जब शीला दीक्षित शुरुआत से ही 'आप' से किसी भी तरह के गठबंधन के विरोध में हैं.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अजय माकन की यह प्रतिक्रिया उस समय सामने आई जब केंद्रीय नेतृत्व ने 'आप' से गठबंधन नहीं होने की स्थिति में दिल्ली कांग्रेस से सातों संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए कहा. इसके पहले भी अजय माकन 'आप' को समर्थन देने की खुलेआम वकालत कर चुके हैं. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस दिल्ली प्रभारी पीसी चाको भी आम आदमी पार्टी से गठबंधन के पक्ष में हैं.

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जाहिर है अजय माकन के इस ताजा स्टैंड से दिल्ली कांग्रेस में विद्रोह की स्थिति आ पहुंची है. एक तरफ अजय माकन 'आप' से गठबंधन के पक्ष में आवाज बुलंद करने वाले धड़े का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस गुट का कहना है कि बीजेपी नीत एनडीए और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिकस्त देने के लिए दिल्ली में वोटों का बिखराव रोकना जरूरी है. इसके लिए 'आप' से गठबंधन कर लेना चाहिए.

दूसरी तरफ दिल्ली कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष शीला दीक्षित हैं, जो अपने खास सिपाहसालारों के साथ 'आप' से गठबंधन के प्रबल विरोध में हैं. गठबंधन का विरोध कर रहे इस पक्ष का तर्क है कि 'आप' से गठबंधन की स्थिति में केजरीवाल सरकार जिस 'एंटीइनकंबेंसी' का दिल्ली में सामना कर रही है, उसका खामियाजा कांग्रेस को भी दिल्ली में उठाना पड़ेगा.

यही नहीं, 'आप' से गठबंधन की राह में एक बड़ा रोड़ा सीट शेयरिंग फॉर्मूले को भी माना जा रहा है. बदले समीकरणों के तहत गठबंधन होने की स्थिति में कांग्रेस दिल्ली में तीन सीट चाहती है, जबकि 'आप' को हरियाणा में सिर्फ एक और पंजाब में एक भी सीट नहीं देने के पक्ष में है. इसके उलट 'आप' दिल्ली में पांच सीट मांग रही है. यह अलग बात है कि हरियाणा और पंजाब में भी गठबंधन होने की स्थिति में वह कांग्रेस को दिल्ली में तीन सीट दे सकती है. हालांकि इसके एवज में अरविंद केजरीवाल हरियाणा और पंजाब में दो-दो सीट कांग्रेस से चाहते हैं.

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यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि 'आप' और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर जबर्दस्त भ्रम की स्थिति है. हालिया बयान विगत दिनों खुद अरविंद केजरीवाल ने विशाखापत्तनम में दिया था. राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की महारैली में हिस्सा लेने गए केजरीवाल ने स्पष्ट कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में 'आप' से गठबंधन से इंकार कर दिया है. हालांकि तब भी दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित यही कह रही थीं कि 'आप' से गठबंधन की संभावनाएं अभी समाप्त नहीं हुई हैं और केंद्रीय नेतृत्व ही इस बारे में अंतिम फैसला लेगा.