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मोदी सरकार ने व्हाट्सअप को दी हद में रहने की चेतावनी

व्हाट्सअप ने कहा कि नए नियमों से यूजर्स की प्राइवेसी प्रभावित होगी. जिसके बाद भारत सरकार ने कंपनी को अपनी हद में रहने की नसीहत दी है. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार निजता के अधिकार का सम्मान करती है.

Updated on: 26 May 2021, 06:48 PM

highlights

  • केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा नए IT नियम लागू करने पड़ेंगे
  • भारत में भारतीय कानून के आधार पर होगा कामकाज- सरकार
  • व्हाट्सअप ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की अर्जी

नई दिल्ली:

नए IT नियमों को लेकर व्हाट्सअप (WhatsApp) और भारत सरकार (Government of India) आमने-सामने आ गए हैं. व्हाट्सअप ने नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार के खिलाफ ही दिल्ली हाई कोर्ट में एक केस फाइल कर दिया है, जिसमें कंपनी ने आज से लागू होने वाले नए आईटी नियमों को रोकने की मांग की गई है. व्हाट्सएप बनाम भारत सरकार का केस मंगलवार 25 मई को फाइल किया गया. व्हाट्सअप ने कहा कि नए नियमों से यूजर्स की प्राइवेसी प्रभावित होगी. जिसके बाद भारत सरकार ने कंपनी को अपनी हद में रहने की नसीहत दी है. 

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इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार निजता के अधिकार का सम्मान करती है. मंत्रालय ने कहा कि व्हाट्सएप से किसी संदेश का उद्गम (ओरिजिन) बताने के लिए कहा जाता है तो इसका अर्थ निजता के अधिकार का उल्लंघन करना नहीं है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसी जरूरतें केवल उन मामलों में पड़ती है जब किसी विशेष संदेश के प्रसार पर रोक लगानी होती है, जांच करनी होती है या स्पष्ट यौन सामग्री जैसे गंभीर अपराधों में सजा देनी होती है. 

आईटी मंत्रालय ने कहा कि एक ओर व्हाट्सएप एक निजता नीति को लागू करने की मांग कर रहा है जहां वह वह अपने सभी यूजर्स का डाटा अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक के साथ साझा करेगा. वहीं दूसरी ओर व्हाट्सएप कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक मध्यस्थ दिशानिर्देशों को लागू करने से इनकार करने का हर संभव प्रयास करता है. भारत सरकार ने स्पष्ट कहा कि भारत में हो रहे सभी काम यहां के कानूनों के अनुसार होने चाहिए.

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वहीं व्हाट्सएप की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि भारत सरकार के नए दिशा निर्देशों में चैट ट्रेस करने की बात कही गई है और एक तरह से वैसे ही है जैसे हमारे यूजर्स के फिंगरप्रिंट की जानकारी मांगी जा रही हो. ये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों के निजता के अधिकार को मौलिक रूप से कमजोर कर देगा.