logo-image

Oppo ने फाइंड X3 Pro मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन का अनावरण किया

ओप्पो फाइंड एक्स3 प्रो मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन में शामिल किए गए फीचर्स की बात करें तो इसमें स्नैपड्रैगन 888 एसओसी, एंड्रॉएड 11-आधारित कलरओएस 11.2, 6.7-इंच क्यूएचडी प्लस डिस्पले 120 हॉट्र्ज रिफ्रेश रेट शामिल हैं.

Updated on: 16 May 2021, 07:21 AM

नई दिल्ली:

स्मार्टफोन बनाने वाली चीनी कंपनी ओप्पो (Oppo) ने शनिवार को फाइंड एक्स3 प्रो (Find X3 Pro) के विशेष संस्करण का अनावरण किया और चीन के पहले मार्स रोवर को ले जाने वाले लैंडर के लाल ग्रह (मंगल) पर उतरने के साथ ही इसकी यादों को संजोने के लिए इस स्मार्टफोन को फाइंड एक्स3 प्रो मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन कहा गया है. चीनी युआन 6,999 (लगभग 1,090 डॉलर) की कीमत पर ओप्पो फाइंड एक्स3 प्रो मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन एक नए ग्रे पेंट जॉब में आता है, जो पहले से उपलब्ध ब्लू, व्हाइट, ग्लॉस ब्लैक और कॉस्मिक मोचा कलरवे में शामिल होने वाले फ्लैगशिप के लिए पांचवां रंग विकल्प है.

और पढ़ें: Amazon India ने लॉन्च किया मुफ्त वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा miniTV

जीएसएमएरिना की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कहा कि ग्रे शेड आउटर स्पेस से प्रेरित है और फोन का रियर पैनल धातु की चमक के साथ हाई-फॉग एजी ग्लास से बना है. एक्सप्लोरेशन संस्करण के बैक कवर में मंगल 2021 और यूटोपिया प्लैनिटिया भी अंकित है, जिस पर लाल ग्रह पर तियानवेन-1 के लैंडिंग साइट का नाम भी है.

इसके अतिरिक्त, फाइंड एक्स3 प्रो मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन तीन मार्स कलर फिल्टर के साथ आता है, जो आपको पृथ्वी पर ली गई तस्वीरों को मंगल जैसा दिखने में मदद करता है.

ओप्पो फाइंड एक्स3 प्रो मार्स एक्सप्लोरेशन एडिशन में शामिल किए गए फीचर्स की बात करें तो इसमें स्नैपड्रैगन 888 एसओसी, एंड्रॉएड 11-आधारित कलरओएस 11.2, 6.7-इंच क्यूएचडी प्लस डिस्पले 120 हॉट्र्ज रिफ्रेश रेट शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: प्रोफाइल वेरिफिकेशन को लेकर Twitter उठा सकता है ये बड़ा कदम, बढ़ेगी सुरक्षा

बता दें कि चीन पहली बार मंगल ग्रह पर अपना स्पेसक्रॉफ्ट उतारने में कामयाब हो गया है. इसके स्पेसक्रॉफ्ट तियानवेन-1 का जुरोंग लैंडर मंगल की सतह को छूने में कामयाब रहा है. तियानवेन-1 प्रोब शनिवार को सुबह 7.18 बजे (बीजिंग का समय) पर मंगल ग्रह पर उतरा. पूर्व-क्रमादेशित (प्री-प्रोग्राम्ड) लैंडिंग की सफलता को स्थापित करने में ग्राउंड कंट्रोलर्स को एक घंटे से अधिक समय लगा.

लैंडिंग के बाद सिग्नल भेजने के लिए रोवर को अपने सौर पैनलों और एंटीना को स्वायत्त रूप से अनफोल्ड करने के लिए इंतजार करना पड़ा, और पृथ्वी और मंगल के बीच 32 करोड़ किलोमीटर की दूरी के कारण इसमें 17 मिनट से अधिक की देरी हुई.