Fact Check: क्या हेल्थ ID के लिए लोगों से 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा मांग रही सरकार? जानें सच

सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि सरकार लोगों से 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा' मांग रही है.

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Aditi Sharma
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क्या हेल्थ ID के लिए लोगों से 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा मांग रही सरकार( Photo Credit : PIB Twitter)

सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि सरकार लोगों से 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा' मांग रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ये डेटा हेल्थ आईडी बनाने के लिए मांगा जा रहा है. यह खबर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है. दरअसल 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हुए ऐलान किया था कि पबके देश में नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन लागू किया जाएगा जिसके तहत लोगों को हेल्थ आईडी दी जाएगी. उन्होंने बताया था कि इस हेल्थ आईडी में हर नागरिक के स्वास्थ्य का पूरा लेखा-जोखा होगा. ऐसे में इसी हेल्थ आईडी को लेकर खबर वायरल गो रही है कि सरकार लोगों से इसके लिए 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा' मांग रही है.

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क्या है इस खबर की सच्चाई?

मीडिया रिपोर्ट में किया जा रहा है ये दावा गलत है. पीआईबी की तरफ से इस दावे को फर्जी बताया गया है यानी सरकार की तरफ से 'संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा' नहीं मांगा जा रहा है. इसी के साथ ये भी बताया गया है कि हेल्थ आईडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए केवल लोगों से उनका नाम, जन्म तिथि और राज्य जैसी कुछ जानकारियां मांगी जा रही हैं.

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बता दें, इस हेल्थ आईडी से किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और डॉक्टर का लेखा जोखा एक ऐप या वेबसाइट के जरिए दिया जाएगा लेकिन ये जानकारी केवल व्यक्ति तक ही सीमित रहेगी. जब व्यक्ति उस जानकारी को किसी डॉक्टर या अन्य किसी व्यक्ति को दिखाने की मंजूरी देगा तभी कोई उसे देख पाएगा. सभी को एक हेल्थ आईडी दी जाएगी और उसके पास ऑप्शन होगा कि वो उसे अपने आधार से भी लिंक करवाना चाहता है या नहीं.

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