Why sharmila tagore changed her religion: कई खूबसूरत प्रेम कहानियों का गवाह है बॉलीवुड. हिन्दी फिल्मों में तो अक्सर नई-नई प्रेम कहानियां देखने को मिलती हैं.लेकिन असल जिंदगी में भी हमारे फिल्मी सितारों की कई ऐसी प्रेम कहानियां हैं जो सभी के लिए मिसाल बन गई हैं. ऐसी ही एक खूबसूरत लव स्टोरी है 60 और 70 के दशक की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और नवाब मंसूर अली खान की.
शर्मिला और मंसूर की शादी रही चर्चित
नवाब मंसूर अली खान इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे शानदार खिलाड़ियों में से एक थे. बतौर कप्तान उन्होने कई मैचों में इंडियन क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया था. उन दिनों में मंसूर अली खान का बेहद अलग रुतबा और रुबाब था. उनकी चार्मिंग पर्सनैलिटी पर हर जवां दिल फिदा होता था. वहीं, शर्मिला टैगोर की खूबसूरती और पॉपुलेरिटी भी किसी मायने में कम नहीं थी. जब ये दोनों मिले तो पहली नज़र में ही एक दूसरे पर दिल हार बैठे थे. शर्मिला और मंसूर अली खान का निकाह 27 दिसंबर 1969 को हुआ था. दोनों की शादी क्रिकेट और बॉलीवुड जगत की सबसे चर्चित शादियों में से एक रही है.
पटौदी खानदान की बहू बनने के लिए बदला धर्म
लेकिन मंसूर अली खान को अपना हमसफर बनाने के लिए बंगाली शर्मिला टैगोर को अपना धर्म बदलना पड़ा. शर्मिला से आयशा सुल्ताना बनना पड़ा. अक्सर लोगों के ज़हन में सवाल उठता है कि आखिर क्यों शर्मिला को अपना धर्म बदलना पड़ा? तो इस ‘क्यों’ का जवाब है एक ‘शर्त’ है. जी हां, मंसूर अली खान और शर्मिला टैगोर एक दूसरे के प्यार में इस कदर गिरफ्तार थे कि हर कीमत पर शादी करना चाहते थे. लेकिन तभी मंसूर अली खान की अम्मी और भोपाल की आखिरी नवाब साजिदा सुल्तान ने दोनों के सामने एक मुश्किल शर्त रख दी थी. साजिदा सुल्तान की वह शर्त ये थी कि अगर शर्मिला अपना धर्म बदलकर मुस्लिम धर्म अपना लें तभी उनकी शादी मंसूर अली खान पटौदी से हो सकती है.
ये शर्त मानकर किया इस्लाम धर्म कबूल
इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन के मुताबिक जब नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने अपनी अम्मी साजिदा सुल्तान के सामने यह ज़िक्र किया की वह फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से प्यार करते हैं और उन्हें अपना हमसफर बनाना चाहते हैं तो साजिदा सुल्तान ने तुरंत इस रिश्ते के लिए हामी नहीं भरी. उन्होंने मंसूर अली खान और शर्मिला टैगोर के सामने शर्त रख दी कि यदि शर्मिला इस्लाम धर्म कबूल कर लें, तो ही ये शादी मुमकिन है. बस फिर क्या था. शर्मिला ने मंसूर अली खान के प्यार के लिए ये शर्त मान ली.
शर्मिला बेगम ऐसे बनीं आयशा सुल्ताना
बताया जाता है कि शर्मिला ने जब अपना धर्म बदलने के लिए हामी भर दी, तब वह अपनी होने वाली सास साजिदा सुल्तान से मिलने के लिए भोपाल भी गई थीं. नवाब खानदान की चिकलोद कोठी जिसे मंसूल अली खान उन दिनों शिकारगाह के तौर पर इस्तेमाल करते थे वहीं शर्मिला टैगोर ने इस्लाम धर्म कुबूल किया. शर्मिला बेगम आयशा सुल्ताना बन गईं और नवाब मंसूर अली खान पटौदी की बेगम बनकर खुशहाल शादीशुदा जिंदगी बिताई.
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