जितेंद्र इंडस्ट्री के उन स्टार्स में से हैं. जिन्होंने अपने डांस और किरदार से लोगों का दिल जीता. उनकी एक्टिंग की वजह से आज भी लोग उन्हें याद करते है. उनके किरदार लोगों के दिलों पर आज भी राज करते हैं. उनकी एक फिल्म तो ऐसी थी. जिसने लोगों के दिलों में एक अलग ही पहचान बना ली थी. उनकी ये फिल्म 1994 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी फिल्म में काम किया था, जिसमें ऋषि कपूर, आशा पारेख, जूही चावला और अनीता राज ने मेन रोल निभाया था.
बंगाली फिल्म का रीमेक
90 के उस दौर में ऋषि कपूर और जूही चावला की जोड़ी को लोग काफी ज्यादा पसंद करते थे. उनकी इस फिल्म का निर्माण कनु चौहान ने राज सन फिल्म्स के बैनर तले किया गया. कल्पतरु ने इसे डायरेक्ट किया था. यह फिल्म बंगाली फिल्म भंगगारा (1954) की रीमेक है. ये फिल्म ऐसी कहानी पर बनी थी. जिसमें विधवा विवाह से जुड़े टैबू को दिखाया गया है.
जूही चावला ने निभाया ये रोल
इस फिल्म का नाम 'घर की इज्जत' है. यह फिल्म 1994 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में जितेंद्र, ऋषि कपूर और जूही चावला सहित आशा पारेख, अनीता राज और कादर खान भी लीड रोल में थे. फिल्म तीन भाइयों के एक परिवार की कहानी थी. इस फिल्म में जूही चावला ने एक बाल विधवा का रोल निभाया था, जो फिल्म में ऋषि कपूर का लव इंटरेस्ट भी हैं.
फिल्म की कहानी
फिल्म में आशा पारेख सीता की छोटी बेटी गीता का रोल जूही चावला ने निभाया था, जो बाल-विधवा है, ऋषि कपूर मोहन और जूही गीता हमेशा झगड़ते रहते हैं और प्यार करते हैं. जूही चावला ने फिल्म में जितेंद्र की बहन का रोल निभाया है. सोहन की शादी अनीता राज यानी शीला से हो जाती है. सब कुछ ठीक चल रहा होता है कि एंट्री पर जूही सामने आ जाती हैं और सारा खेल बिगड़ जाता है.
सुहागरात पर जमकर बवाल
फिल्म में दिखाया जाता है कि शादी वाले दिन जब अनीता राज की एंट्री होती है, तो जूही उसका तिलक अपने हाथों से कर देती हैं. बाल विधवा से अपना तिलक करना अनीता को अच्छा नहीं लगता और इस बात पर शादी वाले दिन ही अनीता राज और जितेंद्र का झगड़ा हो जाता है. उसी दौरान जितेंद्र एक्ट्रेस से कहते हैं कि ये सुहागरात नहीं दुर्भाग्य की रात है. इतने सार एक्टर और एक्ट्रेस के बाद भी फिल्म कुछ खास नहीं दिखीं और फ्लॉप हो गई.
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