Mamta Kulkarni: बाॅलीवुड की वो अदाकारा जो एक समय पर अपनी खूबसूरती और अपने बोल्ड अंदाज को लेकर चर्चा में रहती हैं. अब उन्होंने संन्यास की दीक्षा ले ली है. हम बात कर रहे हैं ममता कुलकर्णी की जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को 'क्रांतिवीर', 'करण अर्जुन', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'आंदोलन' और 'बाजी' जैसी सफल फिल्में दी हैं. हालांकि फिर वह अचानक फिल्में छोड़कर केन्या में शिफ्ट हो गई थीं. इसके बाद ममता कुलकर्णी 24 साल के बाद महाकुंभ के लिए भारत लौटीं तो यहां आकर उन्होंने सब मोह-माया त्याग कर संन्यास की दीक्षा ले ली. अब वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं.
एक्ट्रेस को मिला नया नाम
एक्ट्रेस ने अपना पिंडदान कर महामंडलेश्वर की उपाधि ली है. किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें दीक्षा दी. वहीं महामंडलेश्वर बनने के बाद अब उनका नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि रखा गया है. इसी बीच अब ममता के किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने के बाद हर किसी के मन में यही सवाल उठ रहा है कि क्या अब ममता कुलकर्णी भी किन्नर बन गईं ममता कुलकर्णी? तो वहीं कुछ लोगों के मन में ये भी सवाल आ रहा है कि आखिर उनके साथ ऐसा क्या हुआ कि वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गईं? तो आइए आपके इन सभी सवालों का जवाब हम देते हैं.
क्या ममता बन गईं किन्नर?
अगर आप ये सोच रहे हैं कि किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी भी किन्नर बन गई हैं तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है. किन्नर अखाड़े में शामिल होने के लिए किन्नर होना जरूरी नहीं है. वह व्यक्ति जो सनातन और किन्नरों में आस्था रखता है, वह इस अखाड़े से जुड़ सकता है. वहीं आपको ये भी बता दें कि बाकी अन्य 13 अखाड़ों जैसी कठिन साधना-तपस्या भी इस अखाड़े में नहीं होती है.
क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?
वहीं अब आपको बताते हैं कि आखिर क्यों यूं अचानक ममता कुलकर्णी ने अध्यात्म के रास्ते पर चलने का फैसला किया. इस बारे में बात करते हुए ममता कुलकर्णी ने बताया कि, ‘ ये सब महाकाल और आदिशक्ति की इच्छाशक्ति है. मुझसे कल ही महामंडलेश्वर बनने के बारे पूछा गया . इसके बाद इसपर सोचने के लिए मैंने बस एक दिन का समय लिया कि मुझे यह लेना चाहिए या नहीं. जब मुझे पता चला कि किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर में किसी चीज की बंदिश नहीं है. आप स्वतंत्र रह सकते हो. धार्मिक रूप से कुछ भी कर सकते हो. तब मैनें महामंडलेश्वर बनने का फैसला किया. ये बिल्कुल ग्रेजुएशन और मास्टर की डिग्री की तरह है. जैसे ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद आपको कॉलेज से सर्टिफिकेट मिलता है. वैसे ही इसमें भी महामंडलेश्वर सार्टिफिकेट होता है कि आपने 23 साल तक तपस्या की. मेरा यह अवॉर्ड है.'
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