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Homebound Actor Vishal Jethwa
Homebound Actor Vishal Jethwa: बॉलीवुड में बहुत कम कलाकार ऐसे होते हैं जो बिना किसी गॉडफादर या सिफारिश के सिर्फ अपने टैलेंट और मेहनत के दम पर लंबा और यादगार सफर तय करते हैं. जी हां, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजकुमार राव और दिवंगत इरफान खान जैसे कलाकारों की परंपरा में अब विशाल जेठवा का नाम भी मजबूती से लिया जाने लगा है. हाल ही में करण जौहर के प्रोडक्शन और नीरज घायवान के निर्देशन में बनी फिल्म ‘होमबाउंड’ में उनकी दमदार अदाकारी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो इस दौर के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक हैं.
वहीं फिल्म के 98वें अकादमी अवॉर्ड्स (ऑस्कर) के लिए टॉप-15 में शॉर्टलिस्ट होते ही विशाल जेठवा के अभिनय और उनके संघर्ष भरे जीवन पर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है. तो ऐसे में चलिए हम आपको उनके बारे में कुछ खास बातें बताते हैं.
टीवी से शुरू हुआ विशाल जेठवा का सफर
विशाल जेठवा का बचपन आसान नहीं रहा. सीमित संसाधनों और कठिन हालातों के बीच पले-बढ़े विशाल ने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और हुनर को ही अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया. उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट रखा और बहुत कम उम्र में टीवी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली. बचपन में ही उनके अभिनय में गहराई और ईमानदारी दिखने लगी थी. चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें खास पहचान डिज्नी चैनल के शो ‘लक्की’ से मिली. इसके बाद उन्होंने ‘अदालत’, ‘सीआईडी’ और ‘क्राइम पेट्रोल’ जैसे लोकप्रिय शोज में अलग-अलग किरदार निभाए.
निगेटिव और ग्रे शेड्स रोल में छोड़ी गहरी छाप
कम उम्र में ही विशाल ने निगेटिव और ग्रे शेड्स वाले किरदारों को जिस तरीके से निभाया, उसने उन्हें बाकी बाल कलाकारों से अलग पहचान दिलाई. उनके एक्सप्रेशंस, बॉडी लैंग्वेज और आंखों की गहराई मेकर्स और दर्शकों को खासा प्रभावित करती रही. वहीं टीवी पर ‘संकटमोचन महाबली हनुमान’ में हनुमान जी का किरदार हो या ‘पेशवा बाजीराव’ में नसीर जंग का रोल, हर भूमिका में विशाल ने अपनी अलग छाप छोड़ी. ‘दिया और बाती हम’, ‘भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप’ और युवा अकबर जैसे किरदारों में भी उनके अभिनय की खूब सराहना हुई. विज्ञापनों में काम करने से उन्हें कैमरे के सामने और ज्यादा सहज होने का मौका मिला, जिससे उनके अभिनय की नींव और मजबूत हुई.
परिवार के संघर्ष से निकला सितारा
विशाल जेठवा की जिंदगी की सबसे भावुक कहानी उनके परिवार के संघर्ष से जुड़ी है. उनकी मां घर-घर जाकर झाड़ू-पोंछा करती थीं और सुपरमार्केट में सैनिटरी पैड्स बेचा करती थीं, जबकि उनके पिता नारियल पानी बेचते थे. विशाल ने कई इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि उन्होंने गरीबी को बेहद करीब से देखा है.
कान फिल्म फेस्टिवल जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर खड़े होकर भी विशाल अपनी जड़ों को नहीं भूलते. फिल्मी दुनिया में उन्हें सबसे बड़ी पहचान ‘मर्दानी 2’ से मिली, जहां उन्होंने रानी मुखर्जी के सामने एक खौफनाक विलेन बनकर सबको चौंका दिया. इसके बाद ‘सलाम वेंकी’, ‘आईबी71’ और ‘टाइगर 3’ जैसी फिल्मों में उनकी मौजूदगी ने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.
‘होमबाउंड’ और ऑस्कर तक पहुंचा सपना
अब फिल्म ‘होमबाउंड’ के साथ विशाल जेठवा का सफर ऑस्कर तक जा पहुंचा है. फिल्म का 98वें अकादमी अवॉर्ड्स के लिए टॉप-15 में शॉर्टलिस्ट होना न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का पल है. विशाल इसे अपने जीवन का सपना पूरा होने जैसा बताते हैं और अपनी इस सफलता का श्रेय पूरी टीम को देते हैं.
विशाल जेठवा का बयान
अपनी खुशी साझा करते हुए विशाल जेठवा ने कहा, “यह पल मेरे लिए किसी सपने जैसा है और बेहद विनम्र कर देने वाला है. ‘होमबाउंड’ का शॉर्टलिस्ट होना और ऑस्कर की ओर बढ़ना ऐसा कुछ है, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. दुनिया भर के दर्शकों से फिल्म को जो प्यार और समर्थन मिला है, उसके लिए मैं दिल से आभारी हूं.
मैं खास तौर पर करण जौहर सर का धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने इस कहानी और हम कलाकारों पर भरोसा किया. उनके सपने और सहयोग ने ‘होमबाउंड’ को उड़ान दी. नीरज घायवान सर की संवेदनशीलता और ईमानदारी ने मुझे ऐसे भावनात्मक पहलुओं को छूने का मौका दिया, जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं जिया था. उनके साथ काम करना मेरे लिए एक बदल देने वाला अनुभव रहा. मैं ईशान खट्टर का भी शुक्रिया अदा करता हूं, जिनके जुनून और मेहनत ने हर सीन को और बेहतर बनाया. यह सम्मान पूरी टीम का है, जिसने इस फिल्म में अपना दिल और मेहनत झोंक दी.”
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