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Gulshan Kumar Death Anniversary
Gulshan Kumar Death Anniversary: भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री के 'कैसेट किंग' गुलशन कुमार की हत्या ने 1997 में पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. 12 अगस्त 1997 को दिनदहाड़े, मुंबई में एक मंदिर से लौटते समय उन पर 16 गोलियां दागी गईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. लेकिन इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया की किताब Let Me Say It Now में सामने आया है.
पहले से पुलिस को थी हत्या की जानकारी
राकेश मारिया ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि उन्हें गुलशन कुमार की हत्या से पहले ही एक खुफिया सूत्र (खबरी) के जरिए ये जानकारी मिल चुकी थी. उन्होंने लिखा कि जब उन्होंने अपने खबरी से कोड वर्ड में पूछा, 'विकेट कौन गिराने वाला है?', तो जवाब मिला - 'अबू सलेम.' यहां ‘विकेट गिराने’ का मतलब था किसी की हत्या करना, और अबू सलेम उस समय का कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन था. खबरी की ये सूचना साफ इशारा कर रही थी कि गुलशन कुमार की हत्या की साजिश अबू सलेम के इशारे पर रची जा रही है.
महेश भट्ट से की थी पुष्टि
सूचना मिलने के बाद राकेश मारिया ने अगले दिन सुबह फिल्म निर्माता महेश भट्ट को फोन कर पूछा कि क्या वो गुलशन कुमार को जानते हैं. भट्ट ने बताया कि वो गुलशन कुमार को अच्छी तरह जानते हैं और उनकी एक फिल्म का निर्देशन भी कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि गुलशन कुमार हर सुबह शिव मंदिर जाते हैं.
जैसा खबरी ने कहा था वैसा ही हुआ
12 अगस्त 1997 को खबरी की दी गई जानकारी एकदम सही साबित हुई. गुलशन कुमार जैसे ही मंदिर से दर्शन करके बाहर निकले, उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी गईं. मारिया ने अपनी किताब में ये स्वीकार किया कि उनके पास पहले से जानकारी होने के बावजूद वो इस हत्या को नहीं रोक पाए, और आज भी उन्हें इसका गहरा अफसोस है.
जबरन वसूली बना मौत की वजह
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 5 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी, जिसे गुलशन कुमार ने ठुकरा दिया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा था, 'मैं ये पैसा मंदिर में दान करूंगा, लेकिन तुम लोगों को नहीं दूंगा.' यही जवाब उनकी मौत की वजह बन गया.
एक साधारण परिवार से म्यूजिक साम्राज्य तक
आपको बता दें कि गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1956 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था. उनके पिता सड़क किनारे जूस की दुकान चलाते थे. कम उम्र में ही गुलशन ने पिता के साथ काम करना शुरू कर दिया, लेकिन संगीत के प्रति जुनून ने उन्हें एक नई राह पर ला खड़ा किया. उन्होंने सस्ते दामों पर कैसेट बेचने का काम शुरू किया और धीरे-धीरे भक्ति संगीत के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाई. उन्होंने ‘टी-सीरीज’ को एक म्यूजिक एम्पायर में बदल दिया.
विरासत आज भी कायम है
वहीं गुलशन कुमार की हत्या ने भले ही देश को सदमे में डाल दिया हो, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है. उनके बेटे भूषण कुमार आज टी-सीरीज को दुनिया के सबसे बड़े म्यूजिक ब्रांड्स में शामिल कर चुके हैं. बेटियां तुलसी कुमार और खुशाली कुमार भी संगीत और फिल्मी दुनिया में एक्टिव हैं.
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