पुनीत राजकुमार के साथ हुआ अपहरण का ये किस्सा शायद ही जानते होंगे आप

कन्नड़ फिल्मों के जाने-माने एक्टर पुनीत राजकुमार से जुड़ा अपहरण का एक ऐसा किस्सा है, जिसके बारे में शायद ही लोगों को पता होगा.

कन्नड़ फिल्मों के जाने-माने एक्टर पुनीत राजकुमार से जुड़ा अपहरण का एक ऐसा किस्सा है, जिसके बारे में शायद ही लोगों को पता होगा.

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Pallavi Tripathi
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पुनित के निधन के बाद दौड़ी शोक की लहर( Photo Credit : @puneethrajkumar.official Instagram)

कन्नड़ फिल्मों के जाने-माने एक्टर पुनीत राजकुमार के आकस्मिक निधन ने टॉलीवुड समेत पूरी फिल्म इंडस्ट्री को सदमे में डाल दिया है. एक्टर को आज सुपुर्दे-खाक किया गया. जिसके बाद अप्पू यानी पुनीत के परिवार वालों ने कर्नाटक सरकार का धन्यवाद किया. दरअसल, पूरे राजकीय सम्मान के सम्मान का अंतिम संस्कार किया गया. पुनीत राजकुमार फिल्म अभिनेता के साथ-साथ निर्माता, गायक और लोकोपकार थे. इनसे भी बढ़कर वो एक उम्दा इंसान थे. उनके चाहने वालों की लिस्ट इतनी लंबी है कि कर्नाटक की सरकार को हालातों को काबू करने के लिए कई इलाकों में धारा 144 लागू करना पड़ा है. 

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पुनीत गरीबों के थे मसीहा

पुनीत एक गज़ब के एक्टर होने के साथ-साथ गरीबों के मसीहा कहे जाते थे. दिवंगत कलाकार पुनीत ने गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा के लिए 45 स्कूल बनवाएं हैं. उन्होंने राज्य में अनाथ बच्चों को छत देने के लिए 26 अनाथालय भी बनवाएं हैं. एक्टर ने बुजुर्गों के लिए 16 वृद्धाश्रम बनवाए. जहां बूढ़ों की प्राथमिक जरूरतों का ख्याल रखा जाता है. वहीं, गायों के लिए उन्होंने 19 गौशालाएं बनवाई हैं. इसके अलावा उन्होंने 1800 बच्चों की मुफ्त शिक्षा का बिड़ा भी उठाया है. इतना ही नहीं, उन्होंने निधन के बाद अपनी आंखों को दान कर किसी को आंखे दी. ये तो हो गए उनसे जुड़ा सामाजिक कार्य. लेकिन आज हम आपको उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताने वाले हैं, जिसके बारे में शायद ही आपको पता होगा. हम बात कर रहे हैं एक्टर से जुड़े एक अपहरण के किस्से की.

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108 दिनों बाद छूटे थे राजकुमार

ये बात साल 2000 की है, जब पुनीत चंदन तस्कर वीरप्पन ने पुनीत राजकुमार के पिता राजकुमार का अपहरण कर लिया था. इस घटना के बाद राज्य में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी. उन्हें छुड़ाने में सरकार के पसीने छूट गए थे. करीब 108 दिनों के बाद वीरप्पन और सरकार के बीच सहमति बनी. जिसके बाद राजकुमार को छोड़ा गया. आपको बता दें कि उनके पिता कन्नड़ सिनेमा के आइकन माने जाते हैं. वो कन्नड़ अभिनेता पहले ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाज़ा गया था. 

गौरतलब है कि एक्टर के असमय निधन के बाद पूरे कर्नाटक में शोक की लहर दौड़ गई थी. इस दौरान कई बड़ी हस्तियों ने उनके परिवार को सांत्वना दी और उनका ढ़ांढस बंधाया. कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई भी अस्पताल पहुंचे थे. फैंस उनके निधन के बाद काफी दुखी हैं. उन्हें एक्टर के निधन के बाद इस कदर धक्का लगा है कि उनके दो समर्थकों की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. 

Source : News Nation Bureau

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