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जब चाकू से खुद को छलनी कर एक डाकू ने दिखाया था ट्रेजडी क्वीन Meena Kumari को अपना प्यार

बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा और ट्रेजेडी क्वीन Meena Kumari न तब किसी पहचान की मौहताज थीं और न आज किसी पहचान की मौहताज हैं. हर कोई उनकी एक्टिंग का मुरीद और अदाओं का दीवाना था. ऐसी ही दीवानगी उनके लिए एक डाकू ने भी दिखाई थी.

Updated on: 20 Jan 2022, 05:11 PM

नई दिल्ली :

बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा और ट्रेजेडी क्वीन Meena Kumari न तब किसी पहचान की मौहताज थीं और न आज किसी पहचान की मौहताज हैं. लगभग 90 फिल्मो में नजर आईं मीना कुमारी (Meena Kumari) ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म कर अपने चाहने वालों की लंबी लिस्ट बना ली थी. उस दौर में उनकी खूबसूरती के लोग कायल थे. हर कोई उनकी एक्टिंग का मुरीद और अदाओं का दीवाना था. ऐसी ही दीवानगी उनके लिए एक डाकू ने भी दिखाई थी. ये वो वक्त था जब डाकू के इस किस्से के चलते मीना खूबन सुर्खियों में आ गईं थीं. 

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये किस्सा मीना कुमारी (Meena Kumari) की पाकीजा फिल्म (Pakeezah Movie) की शूटिंग के दौरान का है. फिल्म की टीम को शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश से दिल्ली जाना था लेकिन शिवपुरी इलाके में उनकी कार का पेट्रोल खत्म हो गया और सारा काफिला वहीं रोकना पड़ा. चूंकि वो इलाका सुनसान था इसलिए रात भर वहीं रुकने का फैसला किया गया क्योंकि वहां पेट्रोल का बंदोबस्त नहीं हो सका था. लेकिन देर रात डाकुओं का गैंग उनके काफिले तक आ पहुंचा.

                                         

बातचीत हुई और पता चला कि इस काफिले में मीना कुमारी हैं जो फिल्म की शूटिंग के लिए जा रही थीं. ये जानकर डाकुओं के सरदार की आंखें चमक उठी वो मीना कुमारी से मिले और उनके रात भर ठहरने का इंतजाम भी किया.

                       

सुबह सवेरे उन्होंने उनकी गाड़ियों में पेट्रोल भी भरवाया और उन्हें अच्छे से विदा किया लेकिन जाने से पहले उन्होंने मीना कुमारी से उनके हाथ पर चाकू से ऑटोग्राफ देने को कहा. कहा जाता है कि बड़ी हिम्मत जुटाकर मीना कुमारी ने वो ऑटोग्राफ दिया था. 

                                                              

वहीं, मीना कुमारी के करियर की बेहतरीन फिल्मों की बात करें तो उनमें पाकीजा का नाम सबसे ऊपर आता है. इस फिल्म को कमाल अमरोही ने बनाया था जो मीना कुमारी के शौहर भी थे. कहा जाता है कि इस फिल्म को बनने में पूरे 16 साल लगे और तब जाकर बनी हिंदी सिनेमा की ये कमाल की फिल्म. हालांकि ये मीना कुमारी की आखिरी फिल्म साबित हुई. लंबे समय से बीमारी से जूझ रहीं मीना कुमारी का इस फिल्म के बाद देहांत हो गया था.