सामंथा रुथ प्रभु (Samantha Ruth Prabhu) की फिल्म शाकुंतलम (Shaakuntalam) इन दिनों लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है. उनकी इस फिल्म का दर्शक बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे थे, जो आखिरकार रिलीज हो गई है. यह फिल्म कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम पर आधारित है. इस फिल्म में, प्राचीन भारतीय कवि कालिदास की सबसे सम्मानित कविताओं में से एक को बड़े पैमाने पर फिर से बताया गया है. चाहे शकुंतला और दुष्यंत के रोमांस के सपने जैसा माहौल हो या युद्ध के दृश्यों की पृष्ठभूमि, उत्पादन और दृश्य अपील को बड़े पैमाने पर दिखाया गया है. फिल्म जल्दी से अपने सीजीआई और एक्शन कौशल को प्रदर्शित करती है जब दुष्यंत बाघों और भेड़ियों सहित जंगली जानवरों से एक गांव को बहादुरी से बचाता है.
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पौराणिक बैकस्टोरी के स्टॉप-मोशन एनीमेशन सहित, फिल्म भव्यता पर अपनी पकड़ नहीं खोती है. जब आप दृश्यों, वीएफएक्स, अशोक कुमार की कला निर्देशन और पौराणिक दुनिया को बनाने में जोसेफ वी शेखर की सिनेमैटोग्राफी पर अचंभा करते हैं, तो पूरी कहानी कहने की क्षमता थोड़ी कम होती है. सामंथा रुथ प्रभु फूलों से सजी लड़की के रूप में और रानी के रूप में सभी सजधज में दिव्य दिखती हैं. चाहे एक मासूम, मृगतृष्णा हो, एक बेबस और लाचार पत्नी को निशाना बनाया जा रहा हो या एक क्रोधी महिला, हर दृश्य में उसके भाव बिंदु पर हैं. देव मोहन एक धर्मी राजा, एक निडर योद्धा और एक प्यासे प्रेमी के रूप में एक शक्तिशाली प्रदर्शन देते हैं.
बताते चलें कि वो एक्शन सीक्वेंस को उतनी ही निपुणता से पेश किया गया है जितना कि रोमांश को पेश किया गया. वहीं इस फिल्म में मधु का मेनका के रूप में कैमियो है. फिल्म में, हमारे समृद्ध पौराणिक कथाओं के कई उपाख्यानों की झलक भी मिलती है. हालांकि यह मुख्य रूप से एक प्रेम कहानी है, शकुंतला की पीड़ा में दैवीय उद्देश्य के बारे में बहुत कुछ कहा गया है. जानकारी के लिए बता दें कि यह फिल्म तेलुगु, हिंदी, मलयालम, तमिल और कन्नड़ में रिलीज की गई है. रेटिंग की बात करें तो, फिल्म को 5 में से 4 रेटिंग देना बेहतर होगा क्योंकि फिल्म की कहानी को काफी हद तक रियल दिखाने की कोशिश की गई है.