अमृतसर में जन्मे नरेंद्र चंचल ऐसे बने भजन सम्राट, हर साल जाते थे वैष्णो देवी
चंचल ने भगवान के भजन और आरती गाकर अपने करियर की शुरुआत की. देखते ही देखते धार्मिक गानों की इंडस्ट्री में उनका ऐसा दबदबा बन गया, जिसका कोई तोड़ नहीं मिला.
नई दिल्ली:
देश के भजन सम्राट नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) इस दुनिया में नहीं रहे, वे 80 साल के थे. भजन गायक नरेंद्र चंचल ने शुक्रवार को करीब 12.15 बजे दिल्ली (Delhi) के अपोलो अस्पताल (Apollo Hospital) में आखिरी सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. नरेंद्र चंचल ने सिर्फ भक्ति गाने ही नहीं बल्कि हिंदी फिल्मों को भी कई सुपरहिट गाने दिए हैं. हालांकि, उन्हें असली पहचान माता के भजन से मिली.
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर, 1940 को पंजाब के अमृतसर (Amritsar, Punjab) में हुआ था. वे धार्मिक वातावरण में बड़े हुए, लिहाजा उनका मन भी ईश्वर की भक्ति में लगने लगा. चंचल ने सबसे पहले भगवान के भजन और आरती गाकर अपने करियर की शुरुआत की. देखते ही देखते धार्मिक गानों की इंडस्ट्री में उनका ऐसा दबदबा बन गया, जिसका कोई तोड़ नहीं मिला.
पंजाबी परिवार में जन्मे चंचल सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि पूरे मध्य भारत में भी अपने भजन की वजह से काफी चर्चित थे. बॉलीवुड में उनका पहला गाना फिल्म बॉबी का 'बेशक मंदिर-मस्जिद तोड़ो' था, जिसके लिए उन्हें 'फिल्मफेयर बेस्ट मेल प्लेबैक अवॉर्ड' (Filmfare Best Male Playback) भी मिला. इसके अलावा उन्होंने बेनाम, रोटी कपड़ा और मकान, आशा, अवतार, काला सूरज और अंजाने फिल्म में भी गाना गाया.
तमाम फिल्मों में गाने के बावजूद उनकी असली पहचान उनके भजन की वजह से ही हुई. नरेंद्र चंचल हर साल 29 दिसंबर को माता वैष्णो देवी के दरबार जाते थे. वे इस दौरान हर साल की 31 दिसंबर को माता के भजन गाते थे और साल का अंत करते थे. नरेंद्र चंचल का निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है.
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