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Vivek Agnihotri: लोगों की भावनाओं और विश्वास को ठेस पहुंचाना है पाप', आदिपुरुष पर बोलें डायरेक्टर

विवेक रंजन अग्निहोत्री से फिल्म आदिपुरुष विवादों के बारे में पूछा गया. जिसका जवाब देते थे हुए विवेक ने कहा कि आस्था और विश्वास के मामले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से दूर रहना चाहिए.

Updated on: 26 Jun 2023, 09:53 PM

नई दिल्ली:

फिल्म आदिपुरुष को लेकर पूरे देश में हलचल का माहौल है. ओम राउत के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने ऑडियंस के भावनाओं को हर्ट किया है. जिसे लेकर  जब डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कुछ तरफ इसे पेश किया. डायरेक्टर और राइटर विवेक अग्निहोत्री ने पिछले साल बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़ने वाली कश्मीरी पंडित नरसंहार की कहानी 'द कश्मीर फाइल्स' का निर्देशन किया था. विवेक अग्निहोत्री ने एक इंटरव्यू के दौरान फिल्म आदिपुरुष पर कहा कि लोगों की आस्था के मामलों को सेंसिटिव तरीके के साथ व्यवहार करना चाहिए.

पोस्ट-प्रोडक्शन के काम में थे विवेक व्यस्त

विवेक रंजन अग्निहोत्री अपनी अगली फिल्म 'द वैक्सीन वॉर' के पोस्ट-प्रोडक्शन के काम में व्यस्त हैं. उन्होंने ज़ी एडुफ्यूचर एक्सीलेंस अवार्ड में भाग लेने के लिए पिछले सप्ताह दिल्ली का दौरा किया था, जहां उन्हें 'ब्रॉडकास्ट मीडिया की तरफ से भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूकता फैलाने में उत्कृष्ट योगदान' के लिए सम्मानित किया गया. 

अग्निहोत्री हैं सीबीएफसी बोर्ड के सदस्य

यह पूछे जाने पर कि क्या सीबीएफसी समिति ने आदिपुरुष के विभिन्न दृश्यों और संवादों पर आपत्ति नहीं जताई, जिससे बाद में दर्शक नाराज हो गए, अग्निहोत्री, जो सीबीएफसी बोर्ड के सदस्य भी हैं, ने कहा, मैं सीबीएफसी बोर्ड का हिस्सा हूं. हम प्रमाणन के लिए फिल्म नहीं देखते. फिल्म को आम आदमी और महिलाएं देखते हैं. मुझे नहीं पता कि फिल्म का किस स्तर पर क्या हुआ और इसे किसने देखा. मैंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है. मैं 'द वैक्सीन वॉर' की शूटिंग में व्यस्त था. मैंने कुछ दिन पहले ही फिल्म पूरी की है. इसलिए, मुझे फिल्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

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'आस्था के मामले काफी संवेदनशील होना चाहिए'

उन्होंने आगे कहा कि, यदि आप मेरे अतीत के बयान और टिप्पणियां देखेंगे, तो मैं आम तौर पर अन्य फिल्मों के बारे में बात नहीं करता. मैं दूसरों द्वारा बनाई जा रही फिल्मों पर कभी कोई राय नहीं देता, चाहे वह अच्छी हो या बुरी. हालांकि, मैं कहूँगा कि आस्था के मामले काफी संवेदनशील होना चाहिए.