कंगना के 'भीख' वाले बयान पर विशाल का 'जिंदाबाद' हमला, कहा उस महिला को याद दिलाएं
विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) ने कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के 'भीख में मिली आजादी' वाले बयान पर ऐक्ट्रेस को बुरी तरह फटकार लगाई है.
मुंबई :
ऐक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने हाल ही में भारत की आजादी को लेकर एक बयान दिया, जिस पर खूब बवाल मच रहा है. कंगना ने भारत को 1947 में मिली आजादी को 'भीख' (Kangana Ranaut Independence was bheek) बताया था, जिसके बाद से ऐक्ट्रेस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की मांग उठ रही है. अब इस मामले में सिंगर और म्यूजिक कंपोजर विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) ने रिऐक्ट किया है. विशाल ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाला है जिसमें उन्होंने एक अलग अंदाज से कंगना को आज़ादी का मतलब समझाने की कोशिश की है.
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विशाल ददलानी ने कंगना का नाम लिए बिना एक स्ट्रॉन्ग मेसेज के साथ इंस्टाग्राम (Vishal Dadlani) पर पोस्ट शेयर किया है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. विशाल ददलानी ने अपने इंस्टा अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें वह शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने नजर आ रहे हैं. उस पर लिखा है-जिंदाबाद.
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तस्वीर के साथ विशाल ददलानी ने कैप्शन में लिखा है, 'उस महिला को याद दिलाएं, जिसने कहा था कि हमारी आजादी 'भीख' थी. मेरी टी-शर्ट पर शहीद सरदार भगत सिंह हैं, जो नास्तिक, कवि दार्शनिक, स्वतंत्रता सेनानी, भारत के बेटे और किसान के बेटे हैं. उन्होंने 23 साल की उम्र में हमारी आजादी के लिए, भारत की आजादी के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी. वह अपने होंठों पर मुस्कान और एक गीत गाते हुए फांसी पर चढ़ गए थे.'
विशाल ददलानी ने इस पोस्ट में आगे उन लोगों के बारे में भी लिखा है, जिन्होंने 'भीख मांगने' से इनकार कर दिया था. विशाल ने लिखा है, 'उन्हें सुखदेव, राजगुरु, अशफाकउल्लाह, और हजारों अन्य जिन्होंने झुकने से इनकार कर दिया, उन्होंने भीख मांगने से इनकार कर दिया, उनके बारे में याद दिलाएं. उन्हें विनम्रता और दृढ़ता से याद दिलाएं ताकि वह फिर कभी भूलने की हिम्मत न कर सकें.'
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दरअसल कंगना रनौत ने हाल ही एक न्यूज चैनल के प्रोग्राम में कहा था कि 1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी और जो आजादी मिली है वह 2014 में मिली जब नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की सरकार सत्ता में आई. इस पर खूब बवाल मच रहा है. हर तरफ उनकी आलोचना हो रही है. बहुत लोगों ने इस बयान पर कंगना का पद्म श्री सम्मान वापस लिए जाने की भी मांग की है. इस पर कंगना ने सफाई दी कि अगर कोई उन्हें यह बताए कि 1947 में क्या हुआ था तो वह अपना पद्म श्री सम्मान लौटा देंगी.
उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, 'इस इंटरव्यू में सारी बातें साफ तौर पर कही गई थीं कि 1857 में आजादी के लिए पहली संगठित लड़ाई लड़ी गई....साथ में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी के बलिदान पर भी बात की गई. 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई इसकी मुझे जानकारी नहीं है. अगर कोई मेरी इस बात पर जानकारी बढ़ाए तो मैं अपना पद्म श्री अवॉर्ड वापस कर माफी मांग लूंगी... कृपया मेरी मदद करें.'
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