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Birthday Special : ट्रेन में टॉफियां बेचने से लेकर सुपरस्टार बनने तक, ऐसा था महमूद का सफर

महमूद (Mehmood) के पिता बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे, जहां उनकी सिफारिश के बाद पहली बार महमूद को फिल्म 'किस्मत' में मौका मिला

Updated on: 29 Sep 2020, 10:56 AM

नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमाजगत के मशहूर कॉमेडियन, फिल्मस्टार और निर्देशक महमूद अली (Mehmood) का आज जन्मदिन है. 29 सितंबर 1933 को मुंबई में जन्में महमूद भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन आज भी उनकी यादें लोगों के दिलों में जिंदा हैं. महमूद अली (Mehmood) का बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा रहा, बचपन के दिनों में उन्होंने घर को चलाने के लिए मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनो में टॉफियां तक बेची थीं. महमूद (Mehmood) के पिता बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे, जहां उनकी सिफारिश के बाद पहली बार महमूद को फिल्म 'किस्मत' में मौका मिला.

महमूद अली (Mehmood) ने गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान और निर्माता पीएल संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम भी किया था. इस बहाने महमूद को स्टूडियो जाने का मौका मिल जाता था, जहां वे कलाकारों से भी मिल पाते थे. बतौर जूनियर आर्टिस्ट महमूद ने 'दो बीघा जमीन' और 'प्यासा' जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया.

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महमूद की किस्मत का सितारा फिल्म 'नादान' की शूटिंग के दौरान चमका. इस दौरान उस समय के मशहूर अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना डायलॉग नहीं बोल पाया. जिसके बाद व महमूद को डायलॉग बोलने के लिए दिया और वह सीन बिना रिटेक के ही एक बार में ओके हो गया. इसके बाद महमूद ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया. 'लव इन टोक्यो', 'आंखें' और 'बॉम्बे टु गोवा' जैसी फिल्मों से महमूद ने एक अलग पहचान बनाई.

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बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के करियर में भी महमूद का एक बड़ा हाथ रहा. महमूद ने अमिताभ बच्चन को बतौर सोलो हीरो सबसे पहले अपने डायरेक्शन में बनी फिल्म 'बॉम्बे टु गोवा' में काम करने का मौका दिया. कहा जाता है कि महमूद के भाई अनवर अमिताभ के दोस्त थे. मुफलिसी के दौर में अमिताभ अनवर के साथ उनके फ्लैट में महीनों रहे. महमूद की फिल्में आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं. आखिरी बरसों में महमूद को दिल की बीमारी हो गई थी. आखिर में 23 जुलाई 2004 को उनका देहांत हो गया.